बागेश्वर बाबा के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा और कमलनाथ ने दिया कांग्रेस को टेंशन….
(शशि कोन्हेर) : मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ अपने एक बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। दरअसल, छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने धीरेंद्र शास्त्री की एक कथा आयोजित कराई थी। राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे चुनावी भक्ति बताते हुए जमकर अटैक किया। सूबे में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में अब कमलनाथ ने बताया कि वो मशहूर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा भी करवाने वाले हैं।
कमलनाथ से पूछा गया कि क्या वो धीरेंद्र शास्त्री के ‘हिंदू राष्ट्र’ की मांग करने वाले एजेंडे का सपोर्ट करते हैं? उन्होंने कहा, ‘बनाने की क्या बात है… 82 परसेंट हिंदू तो हैं हीं। जिस देश में इतनी बड़ी फीसदी में हैं… वहां कोई बहस की बात है? 82 परसेंट यदि भारत में हिंदू हैं तो हम कहें कि यह हिंदू राष्ट्र है।’ पूर्व सीएम के इस बयान को लेकर कई दल कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा झटका विपक्षी महागठबंधन से मिला है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पूर्व सीएम कमलनाथ सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलकर हिंदू वोटरों को लुभाना चाहते हैं। मध्य प्रदेश में बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री और पंडित प्रदीप मिश्रा के लाखों की संख्या में भक्त हैं। इनकी कथाओं में आम लोगों के अलावा प्रभावशाली लोग भी पहुंचते हैं। ऐसे में बागेश्वर वाले बाबा के बाद अब कमलनाथ प्रदीप मिश्रा की कथा कराएंगे। पूर्व सीएम ने खुद बताया कि ‘पंडित प्रदीप मिश्र ने सितंबर की तारीख बताई है। उनका भी स्वागत किया जाएगा’ यानी चुनाव से पहले ही कमलनाथ प्रदीप मिश्र की कथा सुनेंगे।
कमलनाथ द्वारा धीरेंद्र शास्त्री की कथा कराने पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता शिवानंद तिवारी ने भारी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि कमलनाथ ‘INDIA’ की विचारधारा के खिलाफ व्यवहार कर रहे हैं। बता दें कि ‘INDIA’ दो दर्जन विपक्षी दलों का एक समूह है जिसमें राजद भी शामिल है। शिवानंद तिवारी ने आगे कहा कि ‘इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस आलाकमान को स्पष्टीकरण देने के लिए कमलनाथ को बुलाना चाहिए।
महागठबंधन एक विचारधारा के तहत बना है। लेकिन अगर हिंदू राष्ट्र बनाने की बात करने वालों का अभिनंदन, स्वागत और महिमामंडन कर यह कहा जाएगा कि देश संविधान से चलेगा तो यह विरोधाभास किसी को भी हजम नहीं होगा।’ ऐसे में महागठबंधन के भीतर कमलनाथ के इस बयान को लेकर अगर और नाराजगी बढ़ती है तो कांग्रेस के लिए यह एक बड़ी टेंशन बन सकती है।