साय सरकार का विस्तार चुनाव परिणाम के बाद,जल्द होंगी निगम मंडल आयोगों में नियुक्तियां..
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद छत्तीसगढ़ में राजनीतिक हलचलें तेज हो जाएंगी। साय सरकार के मंत्रिमंडल में विस्तार के साथ ही कई राजनीतिक नियुक्तियां भी शुरु हो जाएंगी। इनमें सबसे पहले निगम-मंडल और आयोगों में नियुक्तियां की जाएंगी।
विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी-संगठन के कामकाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पदाधिकारियों को इसमें महत्व दिया जाएगा। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नियुक्तियों में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
बीजेपी की सरकार बनते ही कांग्रेस सरकार के 21 निगम-मंडल और आयोगों के अध्यक्ष समेत 32 नेताओं की नियुक्तियां रद्द कर दी गई थीं। वहीं कुछ निगम-मंडल के पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया था।
इसमें खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, आरडीए समेत अन्य निगम मंडल के सदस्य शामिल थे। आरडीए के कुछ सदस्यों ने तो परिणाम आने के साथ ही अपना त्यागपत्र दे दिया था। जबकि कुछ ने भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अपना चेयरमैन पद छोड़ दिया था।
प्रदेश में लगभग 50 से ज्यादा निगम-मंडल,आयोग हैं जिनमें राजनीतिक नियुक्तियां की जानी हैं। इनमें 250 से ज्यादा नेताओं को एडजेस्ट किया जा सकता है। दरअसल निगम-मंडल आयोग के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता है। इसके साथ ही उन्हें वेतन-भत्ता, वाहन, आवास आदि की सुविधा दी जाती है।
पाठ्य पुस्तक निगम, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम, छग मेडिकल सर्विसेस निगम, अपैक्स बैंक, खनिज विकास निगम, रायपुर विकास प्राधिकरण, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल, छत्तीसगढ़ भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल, मदरसा बोर्ड, छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम, राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था, छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल, राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, सीएसआईडीसी और सिंधी अकादमी।
बताया गया है कि साय सरकार अपने 13 से ज्यादा विधायकों को संसदीय सचिव बनाने की तैयारी कर रही है। इन्हें संसदीय सचिव बनाकर सीएम समेत सभी मंत्रियों के साथ अटैच किया जाएगा।
कांग्रेस शासनकाल में 15 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया गया था। हालांकि संसदीय सचिव पद को लेकर लगातार सवाल भी उठते रहे हैं। कांग्रेस पहले भाजपा सरकार पर इसे लेकर सवाल उठाती थी, वहीं कांग्रेस सरकार में भाजपा इसे लेकर हमलावर थी।