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पहलवानों का अनशन खत्म होने के बाद अब दो बहऩों में मची रार

(शशि कोन्हेर) : कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी को जंतर मंतर में धरने पर बैठे पहलवानों का आंदोलन भले ही समाप्त हो गया हो। लेकिन उसे लेकर पहलवानों के बीच खिच खिच और किच-किच अभी भी जोरों पर है। दरअसल इस आंदोलन के समर्थन और विरोध में मुखर रही दो बहने अब एक दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप की तलवार लेकर जूझ पड़ी हैं।

एक पहलवान बहन बबीता फोगाट आंदोलन के विरोध में रहीं, तो दूसरी साक्षी मलिक आंदोलन में सबसे आगे खड़ी रही। बबीता फोगाट ने पहले ही कह दिया था कि यह आंदोलन पहलवानों की समस्याओं की बजाय पहलवानों के कंधे पर बंदूक चलाने वाली राजनीति के कारण हो रहा है। अब जबानी जमा खर्च को छोड़कर आंदोलनकारी पहलवान अपना आंदोलन लगभग खत्म कर चुके हैं।

नाबालिक पहलवान ने कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोप वापस ले लिए हैं। इसके कारण उन पर पॉक्सो एक्ट के तहत संभावित कार्रवाई के आसार खत्म हो गए हैं। हालांकि साक्षी मलिक का कहना ऐसा है कि नाबालिक पहलवान ने दबाव में अपना बयान बदला है।

जबकि नाबालिक पहलवान के पिता साक्षी मलिक के इस आरोप से मुखर रूप से इंकार कर रहे हैं। वहीं आंदोलन की धार कुंद होने बाद से दोनों पहलवान बहनें, बबीता फोगाट और साक्षी मलिक एक दूसरे के विरोध में बयान पर बयान दिए जा रही हैं।

अब इनकी निजी लड़ाई का चाहे जो हश्र हो। एक बात तो साफ समझ में आ रही है कि कांग्रेस से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तमाम विरोधियों की, इन पहलवानों की समस्याओं के पीछे लामबंद होने की ख्वाहिशों का अंत होता साफ नजर आ रहा है। चाहे भूपेंद्र हुड्डा हो, प्रियंका गांधी हों, अरविंद केजरीवाल हों, किसान नेता राकेश टिकैत हों, अथवा सतपाल मलिक.. पहलवानों के आंदोलन की रैली भुस्स होने से ये सभी मोदी विरोधी को तगड़े झटके का एहसास कर रहे होंगे।

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