हजारों किलोमीटर का सफर तय कर, फिर खूंटाघाट पहुंचे.. जंग हिल (पेटेण्ड स्टार्क) पक्षी
(विजय दानिकर) : बिलासपुर – मानसून का सूचक माने जाने वाला एक ऐसा पक्षी जो प्रति वर्ष एक निश्चित समय में निश्चित स्थान पर हजारों किलोमीटर की यात्रा कर उसी स्थान पर पहुंचते हैं जहां पिछले कई वर्षों से आ रहे होते हैं। अपने प्रवास काल का 3 माह पूरा करने के बाद ये सभी अपने गंतव्य की ओर लौट जाते हैं।
एक ऐसा पक्षी जो इन दिनों रतनपुर के खारंग जलाशय यानी खूंटाघाट के मध्य टापू के पेड़ों पर बड़ी संख्या में देखे जा सकते है। आसमान में उड़ान भरते हुए इनको बड़े ही आसानी से पहचाना जा सकता है।
इनकी लंबी टांगे और टांगों का निचला भाग बाल रहित होता है, गर्दन लंबी और भारी होने के साथ-साथ आगे की ओर पतली होती है, इस पक्षी को “जंग हिल” के नाम से जाना जाता है, जिसे अंग्रेजी में पेटेंड स्टार्क कहा जाता है। इनका मुख्य आहार छोटी छोटी मछलियां और घोंघी होती है, यह पक्षी हजारों किलोमीटर की यात्रा कर खूंटाघाट बांध में अपना डेरा जमाए हुए हैं। पिछले कई वर्षों से ये यहां आ रहे हैं जिनका आगमन जून महीने के आखरी में होता है।
इनके आने से इन्हें देखकर किसानों के चेहरे में चमक आ जाती है।और वे खुशी से झूम उठते हैं।इनके आने से यह संकेत मिलता है कि अब मानसून जल्द आने वाला है। काले काले मानसूनी बादल के साथ आने वाले यह पक्षी तीन माह यहां बिताने के बाद सितंबर महीने के आखिरी सप्ताह से वापस लौटने का क्रम जारी हो जाता है।इन प्रवासी पक्षीयों का यह तीन माह प्रजनन काल होता है, इसके बाद अंडों से बच्चे निकलने के बाद वापस अपने गंतव्य की ओर चले जाते हैं।
इनमें सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि अपना प्रवास कार्य व्यतीत करने के बाद वापस जाते समय इनके बच्चे अगुवाई करते हैं जिनका यह अनुवांशिक गुण इनमें स्वतः ही आ जाता है। बगुला प्रजाति का यह पक्षी प्रतिवर्ष चीन, इंडोनेशिया, श्रीलंका पाकिस्तान जैसे देशों से लंबी दूरी तय करके छत्तीसगढ़ के निश्चित स्थानों में पहुंचते हैं जहां बड़े-बड़े तालाब व बांध होते हैं।