अखिलेश ने साथ मांगा नहीं, कांग्रेस भी रही दूर MLC चुनाव में विपक्षी एकता चकनाचूर
(शशि कोन्हेर) : मिशन-2024 को लेकर विपक्षी दल भले एकजुटता के दावे करें, लेकिन सोमवार को हुए विधान परिषद की दो सीटों के चुनाव में भाजपा ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। इसी के साथ भगवा दल ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपना कुनबा और बढ़ाने के संकेत भी दे दिए। पार्टी प्रत्याशियों को एनडीए के विधायकों के अलावा सुभासपा के ओपी राजभर का भी साथ मिला। नतीजतन, पार्टी के दोनों प्रत्याशियों को एनडीए की कुल संख्या से अधिक मत मिले।
भाजपा की चुनावी रणनीति के आगे विपक्ष कोई चमत्कार न कर सका। सपा प्रत्याशियों का इमोशनल दांव भी काम नहीं आया। वहीं नई संसद के उद्घाटन के मुद्दे पर विरोध में एकजुट दिखने वाले सपा और कांग्रेस भी अलग-थलग दिखे। संख्या बल की बात करें तो भाजपा के पास सहयोगियों सहित 274 वोट थे। इसमें भाजपा के 255, अपना दल (सोनेलाल) के 13 और निषाद पार्टी के छह विधायक शामिल हैं। मगर भाजपा प्रत्याशी पदमसेन चौधरी को 279 और मानवेंद्र सिंह को 280 वोट मिले।
माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा से नजदीकी दिखाने वाले ओपी राजभर के विधायकों के वोट भी भाजपा को मिले। इसे आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर राजभर के भी एनडीए का हिस्सा बनने के रूप में देखा जा रहा है।
सफल रही भाजपा की रणनीति
भाजपा की चुनावी रणनीति एक बार फिर सफल रही। रविवार को बैठक कर सभी विधायकों को प्रशिक्षण दिया गया। सीएम ने सभी पार्टी विधायकों से एकजुट होकर मतदान की अपील की। पार्टी ने व्हिप जारी कर सभी विधायकों से एकजुट होकर भाजपा प्रत्याशियों को जिताने के लिए कहा। हर वोट की निगरानी के लिए सुबह से ही कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर मतदान स्थल पर डेरा डाले रहे। मतगणना का जिम्मा सबसे वरिष्ठ मंत्री सुरेश खन्ना को सौंपा गया। उनके साथ राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह भी थे।
दुबई से भी बुला लिए विधायक
भाजपा ने एक-एक वोट की चिंता की। पार्टी के विधायक बृजेश रावत दुबई गए हुए थे। उन्हें फोन करके वोट डालने के लिए बुलवा लिया गया। वे सोमवार की सुबह ही दुबई से पहुंचे थे और फिर सीधे मतदान करने विधान भवन आ गए। पूर्व मंत्री श्रीकांत शर्मा भी रविवार की बैठक में नहीं थे, मगर उन्होंने सोमवार को विधान भवन पहुंच कर मतदान किया।
सपा ने नहीं मांगा था कांग्रेस से समर्थन
विधान परिषद की दो सीटों के लिए सोमवार को हुए चुनाव से कांग्रेस के दोनों विधायक दूर रहे। विपक्षी दलों की एकजुटता की उम्मीद लगाए बैठे लोग आखिरी समय तक कांग्रेस के विधायकों का इंतजार करते रहे लेकिन वे नहीं आए। इस बीच जानकारी मिली कि सपा ने इस चुनाव में कांग्रेस से समर्थन ही नहीं मांगा था।
कांग्रेस विधान मंडल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ और पार्टी के दूसरे विधायक वीरेन्द्र चौधरी मतदान से गैर हाजिर रहे। आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने कहा कि उन्हें चुनाव में पार्टी की तरफ से कोई निर्देश नहीं मिला था। ऐसे में मतदान में हिस्सा लेने का सवाल ही नहीं था।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस को उम्मीद थी कि सपा अपने प्रत्याशियों के लिए वोट देने का अनुरोध करेगी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसके प्रत्याशियों ने अंतरात्मा की आवाज पर तो वोट मांगा लेकिन वैचारिक रूप से करीब दलों से संपर्क नहीं किया। चुनाव में केवल भाजपा व सपा के ही प्रत्याशी आमने-सामने थे। ऐसे में कांग्रेस के सामने केवल सपा के ही साथ खड़े होने का विकल्प भी था।