2016 से अदाणी ग्रुप की जांच का आरोप ‘तथ्यात्मक रूप से निराधार’ ,SC में बोली SEBI
(शशि कोन्हेर) : बाज़ार नियामक प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि SEBI द्वारा वर्ष 2016 से अदाणी समूह की जांच किए जाने का आरोप ‘तथ्यात्मक रूप से निराधार’ है. SEBI ने इस मामले में ‘वक्त से पहले और गलत निष्कर्ष’ निकालने के ख़िलाफ़ आगाह भी किया.
SEBI ने शीर्ष कोर्ट में दाखिल एफ़िडेविट में कहा कि उसने 51 कंपनियों की वैश्विक डिपॉजिटरी रसीद (GDR) जारी करने की जांच की थी और अदाणी समूह की कोई भी सूचीबद्ध कंपनी इन 51 कंपनियों में शामिल नहीं थी.
SEBI ने एफ़िडेविट उस याचिका के जवाब में दाखिल किया है, जिसमें दावा किया गया था कि SEBI वर्ष 2016 से ही अदाणी समूह की जांच कर रहा है, इसलिए नियामक को मामले की जांच के लिए छह महीने के कार्यकाल विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए.
SEBI का सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा
सेबी द्वारा पहले की गई जांच 51 भारतीय सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा ग्लोबल डिपॉजिटरी रसीदें (GDR) जारी करने से संबंधित है, जिसके संबंध में जांच की गई थी
अदाणी समूह की कोई भी सूचीबद्ध कंपनी उपरोक्त 51 कंपनियों का हिस्सा नहीं थी
यह तथ्यात्मक रूप से निराधार है कि SEBI वर्ष 2016 से अदाणी की जांच कर रहा है
न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (MPS) मानदंडों की जांच के संदर्भ में, SEBI पहले ही 11 विदेशी नियामकों से बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन (MOU) के तहत प्रतिभूति आयोगों के अंतरराष्ट्रीय संगठन (IOSCO) के साथ संपर्क कर चुका है
इन नियामकों से जानकारी के लिए विभिन्न अनुरोध किए गए थे
विदेशी नियामकों के लिए पहला अनुरोध 6 अक्टूबर, 2020 को किया गया था
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में संदर्भित 12 लेन-देन से संबंधित जांच के संबंध में, प्रथम दृष्टया नोट किया गया कि ये लेनदेन अत्यधिक जटिल हैं और कई उप लेन-देन भी हैं
इन लेनदेन की कड़ी जांच के लिए डेटा / सूचना के मिलान की आवश्यकता होगी
कई घरेलू और साथ ही अंतरराष्ट्रीय बैंकों से बैंक स्टेटमेंट सहित विभिन्न स्रोतों से जानकारी, लेन-देन में शामिल On-Shore और Off-Shore संस्थाओं के वित्तीय विवरण और अन्य सहायक दस्तावेजों के साथ संस्थाओं के बीच अनुबंध और समझौते यदि हों, तो देखने होंगे
इसके बाद, निर्णायक निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विभिन्न स्रोतों से प्राप्त दस्तावेजों का विश्लेषण करना होगा