अमिताभ बच्चन भी चाहते हैं भारत! बिग बी पर भड़के लोग-
(शशि कोन्हेर) : जी-20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज के लिए राष्ट्रपति की ओर से जो न्योता दिया गया है, उसमें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा है। इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है और कांग्रेस इस पर ऐतराज जता रही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तंज कसते हुए एक्स पर लिखा है।
‘तो खबर सच है। राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी-20 डिनर के लिए प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की बजाय प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है। अब संविधान का अनुच्छेद पढ़ा जाएगा: भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा।’ इस जानकारी के बाद से ही एक वर्ग जहां सरकार के फैसले के समर्थन में है तो कुछ लोग आलोचना भी कर रहे हैं।
इस बीच बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, ‘भारत माता की जय।’ उनके अलावा क्रिकेटर वीरेंद्र सहवान ने भी ‘भारत’ नाम पर खुशी जताई है और कहा कि INDIA नाम तो अंग्रेजों की तरफ से दिया गया था।
सहवाग ने लिखा, ‘टीम इंडिया नहीं, टीम भारत। इस साल जब हम वर्ल्ड कप में टीम का उत्साह बढ़ाएंगे तो हमारे दिलों में भारत होना चाहिए। इसके अलावा खिलाड़ियों की जर्सी पर इंडिया की बजाय भारत लिखा होना चाहिए।’ सहवान ने अपनी पोस्ट के साथ बीसीसीआई सचिव जय शाह को टैग भी किया है।
अमिताभ बच्चन ने ‘भारत माता की जय’ के अलावा कुछ भी लिखा नहीं है, लेकिन जिस मौके पर उनकी यह पोस्ट आई है, उसे भारत बनाम इंडिया की बहस से ही जोड़कर देखा जा रहा है। उनकी पोस्ट पर लोगों का रिएक्शन भी खूब आ रहा है। कई लोगों ने उनकी पोस्ट का समर्थन करते हुए विपक्ष पर तंज कसा है कि ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। वहीं एक वर्ग ऐसा है, जो अमिताभ बच्चन को ही सलाह दे रहा है।
आपको तो रीढ़ दिखानी चाहिए, अमिताभ पर बरसे यूजर
एक यूजर ने तो बेहद तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा कि अब तो आप बुजुर्ग हो गए हैं। अब आपकी क्या महत्वाकांक्षा बाकी है। आपको रीढ़ दिखानी चाहिए और सच बोलना चाहिए। जैसा कि आप पहले बोला करते थे।
गौरतलब है कि भाजपा से जुड़े कई लोगों ने राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी न्योते पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखे जाने की सराहना की है। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी ने इसे स्वागत योग्य फैसला बताया है। वहीं सांसद हरनाथ सिंह यादव ने तो मांग ही कर दी कि देश का एक ही नाम भारत होना चाहिए। गौरतलब है कि आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने सबसे पहले देश का एक ही नाम भारत रखे जाने का सुझाव दिया था।