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भारत जोड़ो यात्रा का समापन और राजस्थान कांग्रेस में भड़केगी बगावत की चिंगारी

(शशि कोन्हेर) : राजस्थान में लंबे समय से मुख्यमंत्री बदलने की सचिन पायलट के गुट की मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने पद पर बने हुए हैं और दावा करते रहे हैं कि उन्हें ही ज्यादातर विधायकों का समर्थन हासिल है। पिछले साल सितंबर महीने में हुए विवाद के बाद माना जा रहा था कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन तय है और सचिन पायलट को किसी भी समय कमान सौंपी जा सकती है, लेकिन अब तक ऐसा हो नहीं सका है।

कई बार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद अब सचिन पायलट सड़क पर उतरने की तैयारी कर चुके हैं। राजनीतिक जानकार पायलट की इन आमसभाओं और जनसंपर्क को कांग्रेस आलाकमान को ‘ताकत’ दिखाने के लिए लिया गया फैसला मान रहे हैं।

सड़क पर उतर दबाव बना रहे पायलट?
सचिन पायलट ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि वे 16 जनवरी से 20 जनवरी तक रोजाना आमसभाएं और जनसंपर्क करेंगे। नागौर, हनुमानगढ़, झुंझुंनु, पाली और जयपुर में पायलट लोगों से मुलाकात करके उनकी परेशानियों को समझेंगे। पायलट का जमीन पर उतरना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ-साथ कांग्रेस आलाकमान को भी संदेश देना है।

पायलट का साफ संदेश है कि वे अब और समय का इंतजार नहीं कर सकते हैं। यदि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे उनको जिम्मेदारी नहीं देते हैं, तो वे ज्यादा दिनों तक शांत नहीं बैठने वाले। वे जनता के बीच जाकर अपनी दावेदारी को और मजबूत करेंगे। जानकार कहते हैं कि इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि सचिन पायलट राजस्थान में लोकप्रिय युवा चेहरा हैं। उनकी सभाओं में हजारों-लाखों की भीड़ आती है। ऐसे में आगामी आमसभाओं और जनसंपर्क में भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं तो इससे कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बढ़ेगा कि गहलोत के बजाए पायलट के नाम पर विचार किया जाए।

विवाद का अब तक क्यों नहीं निकला हल?
सूत्रों के अनुसार, राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन का कांग्रेस आलाकमान ने कई महीने पहले ही मन बना लिया था। सितंबर महीने में गहलोत के करीबी विधायकों की बगावत के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। सूत्रों की मानें तो पहले गुजरात चुनाव के खत्म होने का इंतजार किया गया, तो अब भारत जोड़ो यात्रा के खत्म होने का इंतजार किया जा रहा है।

दरअसल, आलाकमान कोई भी बड़ा फैसला लेने से अब तक इसलिए पीछे हट रहा है कि मीडिया से लेकर जनता तक का सारा ध्यान राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से हटकर राजस्थान विवाद पर चला जाएगा। ऐसे में यदि अशोक गहलोत या उनके करीबी विधायक कुछ परेशानी खड़ी करते हैं तो पूरी भारत जोड़ो यात्रा पर पानी फिर जाएगा। कन्याकुमारी से चली यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। सूत्रों की मानें तो आलाकमान इस यात्रा के बाद ही राजस्थान विवाद को हल करने पर कुछ विचार कर सकता है।

बजट से पहले ही मैदान में क्यों उतर रहे पायलट?
अशोक गहलोत की वर्तमान सरकार का बजट भी आने वाला है। राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र 23 जनवरी से शुरू होगा। विधानसभा चुनाव होने की वजह से गहलोत का यह बजट लोकलुभावन हो सकता है। सूत्रों की मानें तो इस बजट में मुख्यमंत्री गहलोत जनता के लिए कई बड़े ऐलान कर सकते हैं, ताकि आगामी चुनाव में उन्हें फायदा हो सके। गहलोत ने पिछले दिनों इस ओर कई संकेत भी दिए हैं।

गहलोत के बजट पेश करने से पहले ही पायलट हर हाल में जनता के बीच उतरना चाहते हैं। वे अपनी आमसभाओं के जरिए से जनता से कनेक्ट बनाए रखना चाहेंगे, ताकि चुनाव में उन्हें फायदा मिल सके। उल्लेखनीय है कि प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पिछले चुनाव से पहले पायलट सड़क पर उतरकर जनता के बीच गए थे और इसका सियासी लाभ कांग्रेस को मिला भी था। इसलिए इस बार भी चुनाव से ठीक पहले पायलट ने सड़क पर उतरने की राजनीति पर ज्यादा भरोसा किया है।

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