Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी की चलने की रफ्तार से कदम मिलाना कई साथी यात्रियों के लिए नहीं हो रहा आसान
(शशि कोन्हेर) : बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर इन तीनों समुद्रों के संगम के तट के करीब कन्याकुमारी के स्वामी विवेकानंद पालिटेक्निक के बेस कैंप से देश को जोड़ने और कांग्रेस के राजनीतिक पुनरोत्थान (रिवाइवल) के दो प्रमुख लक्ष्यों के साथ गुरूवार को राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के तहत अपनी पदयात्रा का आगाज कर दिया।
अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी और लंबी पदयात्रा पर निकले राहुल कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 3570 किमी की दूरी छह महीने पैदल चलकर पूरी करेंगे। पदयात्रा के जरिए जनता से टूटे तार जुड़ने की कांग्रेस की अब तक की यह सबसे बड़ी मुहिम शुरुआत में तो राजनीतिक उत्सव का समा बांधती नजर आ रही है।
देश के भविष्य की बुनियाद और आने वाले कल की शुरूआत
पदयात्रा के पहले दिन तमिलनाडु के सुदूर दक्षिण में कांग्रेस की भारत जोड़ो पदयात्रा में दिखा उत्सवनुमा माहौल
गांव-कस्बों, चौक-चौराहों से लेकर सड़कों के किनारे जुटती भीड़ इस लंबी यात्रा के लिए कम से कम कांग्रेस की शुरूआती उम्मीद जगा रही है। पदयात्रा के करीब तीन घंटे के पहले पड़ाव में दिखी इस उम्मीद को खुद राहुल गांधी ने भी ब्रेक के दौरान टवीट के जरिए यह कहते हुए जाहिर भी किया कि यात्रा देश के भविष्य की बुनियाद और आने वाले कल की शुरूआत है।
सुबह 6.45 विवेकानंद पालिटेक्निक बेस कैंप में तमिलनाडु में कांग्रेस के मौजूद सबसे बुर्जुग नेता दिग्गज कामराज के सहयोगी रहे 94 साल के कुमरी आनंदन ने तिरंगा लहराया और गांधी टोपी पहने राहुल ने अन्य यात्रियों के साथ राष्ट्रध्वज को सलामी दी।
राहुल गांधी की चलने की रफ्तार है तेज
वंदे मातरम गान के बाद सफेद टी शर्ट, काले पैंट में स्पोर्टस शूज पहने राहुल गांधी ने अपनी पदयात्रा शुरू कर दी। कन्याकुमारी से सुचींद्रम की करीब 13 किमी के पहले पड़ाव की यात्रा के दौरान अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, पी चिदंबरम, केसी वेणुगोपाल से लेकर देश के तमाम इलाकों से आए कांग्रेस नेताओं की फौज के साथ करीब दो-तीन हजार की भीड़ राहुल के साथ चलती नजर आयी।
भारत जोड़ो यात्रा रोज दो चरणों सुबह सात से 10.30 और दोपहर बाद 3.30 से शाम करीब सात बजे तक चलेगी। राहुल गांधी के चलने की रफ्तार इतनी तेज थी कि पहले पड़ाव स्थल सुचींद्रम में पदयात्रा आधे घंटे पहले ही पहुंच गई। हालांकि कई भारत यात्रियों के लिए राहुल के कदम की गति से चलना आसान नहीं हो रहा था।
अधिकांश यात्री रहे राहुल गांधी से पीछे
तीन दर्जन से अधिक यात्री उनसे एक-दो किमी पीछे चल रहे थे, जिनमें कुछ महिला यात्री भी थीं। इसमें राजस्थान से आर्इ 48 साल की रूबीना खान की सांसे शुरूआत में ही फुल रही थी मगर उन्होंने जज्बा दिखाते हुए कहा कि चाहे दम निकल जाए वे कश्मीर तक पैदल ही चलेंगी।
पिछड़ रहे यात्रियों को सबसे पीछे चल रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह नारे लगाते हुए हौसला दे रहे थे। तो फोटो खिंचवाने आ रहे कई युवा यात्रियों को मीठी झिड़की भी दे रहे थे कि यहां नेतागिरी न करें बल्कि यात्रा करें। अधिकांश यात्रियों ने लंबी पदयात्रा के हिसाब से जूते पहन रखे हैं, मगर बिहार से कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार चप्पल में ही चलते नजर आए।
पूरे रास्ते जनता से मिलते, बातचीत करते आगे बढ़ते रहे पूर्व अध्यक्ष
सुदूर दक्षिण में यात्रा के रास्ते में मिल रही गर्मजोशी और उत्सवनुमा माहौल में उत्तरप्रदेश, पंजाब, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान जैसे हिन्दी भाषी राज्यों के यात्रियों का उत्साह कुछ ज्यादा ही दिखा। इस उत्साह में वे कुल्फी से लेकर रास्ते की दुकानों से चाय-काफी, बाड़ा आदि खरीद कर खाते-पीते भी दिखे। करीब दो घंटे चलने के बाद राहुल गांधी को भी बीच में पार्टी के एक स्थानीय कार्यकर्ता ने नारियल पानी दिया। राहुल के साथ कदम ताल मिला रहे छत्तीसगढ के सीएम भूपेश बघेल ने भी नारियल पानी लिया। पैदल चलते राहुल रास्ते में बड़े-बुजुर्ग, युवाओं ओर महिलाओं से मिलते और संक्षिप्त बातचीत करते नजर आए।
लोगों से बातचीत करते नजर आए राहुल
इसी दौरान तमिलनाडु में मेडिकल नीट परीक्षा के खिलाफ आत्महत्या करने वाली छात्रा के माता-पिता राहुल सड़क पर खड़े मिले। इसके बाद सुचींद्रम के स्कूल में विश्राम के दौरान राहुल ने अनिता के माता-पिता को बुलाकर चर्चा की। पदयात्रा का पहला विश्राम सुचींद्रम के उस एसएमएसएम सीनियर सेंकेड्री स्कूल में हुआ, जहां सी राजगोपालाचारी के साथ 1937 में महात्मा गांधी आए थे। स्कूल के विजिटर बुक में गांधीजी का हिन्दी के साथ तमिल भाषा में किए हस्ताक्षर आज भी सुरक्षित हैं।
पहले दिन लगभग जहां पूरे रास्ते राहुल गांधी की बड़ी-बड़ी तस्वीरों वाले पोस्टर बैनर लगे नजर आए। वहीं लगभग हर चौक-चौराहों पर कहीं बैंड, कहीं स्थानीय संस्कृति के नृत्य-गीत तो कहीं फूल बरसाती महिलाओं की टोली दिखी। कई जगह कुछ लोग महात्मा गांधी और कामराज का तो कुछ महिलाएं इंदिरा गांधी के रूप में खड़े होकर कांग्रेस के गौरवपूर्ण इतिहास की झलक दिखाते नजर आए।
दोपहर बाद जब दिन की दूसरी पारी की पदयात्रा शुरू हुई तो दो-तीन हजार की भीड़ देखते-देखते 20-25 तक पहुंच गई। कांग्रेस ने यात्रा का स्वरुप इसी हिसाब से निर्धारित किया है कि दोपहर बाद की पदयात्रा में लोगों की भीड़ ज्यादा से ज्यादा जुटे।