छत्तीसगढ़

1 मार्च को परसा (पलाश) संरक्षण दिवस मनाएगी बिलासा कला मंच

(इरशाद अली संपादक लोकस्वर टीवी) : बिलासपुर : बिलासा कला मंच के संस्थापक एवम् वरिष्ठ लोकमर्मज्ञ डा सोमनाथ यादव ने बताया कि तेज गति से विलुप्त हो रहे परसा पेड़ (टेशू,पलाश आदि) को बचाने हेतु 1 मार्च को परसा (पलाश) संरक्षण दिवस मनाकर सरकार से निवेदन की जाएगी कि परसा पेड़ को संरक्षित करने के लिए कोई ठोस उपाय करे।


पलाश एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही सुंदर होते हैं। फागुन माह में फूलने वाले टेशू का फूल दूर से ऐसा प्रतीत होता है जैसे आग लगी हो इसलिए इसे जंगल की आग भी कहा जा सकता है।


पलास के फूल लाल, सफेद और पीला भी होते है।
गावों में इसके पत्तों और डंगाल से विवाह कार्यक्रम में मंडपाच्छादन किया जाता है वही गर्मी से बचने के लिए भी इसके पत्तों और लकड़ियों का उपयोग किया जाता है। परसा पत्ता से भोजन हेतु दोना, पत्तल भी बनता है।


गांव में परसा के लकड़ी का खाना पकाने, बाड़ आदि बनाने में भी काम आता है।यही नहीं मधुमक्खी,तितली,चींटी और बंदर इसके रस का मधुर आनंद लेते है।


होली में टेशू फूल से गुलाल और रंग बनते है वही औषधि के रूप में भी बड़ा काम आता है।छत्तीसगढ़ में परसा फूल की जो महत्ता है वो हमारी लोकगीतों में भी दिखाई, सुनाई देती है।


एक बानगी देखिए -” रस घोले ये माघ फगुनवा,मन डोले रे माघ फगुनवा,राजा बरोबर लगे मौरे आमा,रानी सही परसा फुलवा”।छत्तीसगढ़ के लोकजीवन में जहां परसा की महत्वपूर्ण भूमिका है तो लोकगायक,साहित्यकारों ने भी परसा पर अनेक रचनाएं सृजित की है।


 आज परसा पेड़ तेजी से विलुप्त हो रहा है। अंधाधुन पेड़ो की कटाई और विकास की अंधी दौड़ ने हमे प्रकृति से दूर कर दी है। छत्तीसगढ़ की शान परसा को संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है और ये काम सरकार के साथ हम सब को करना होगा।

इन्ही बातों को लेकर बिलासा कला मंच बिलासपुर द्वारा 1 मार्च को परसा (पलाश)संरक्षण दिवस मनाएगी। डा सोमनाथ यादव ने कहा कि विभिन्न समाज,संस्था,संगठन भी आगे आए और अपने स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर जनजागरण अभियान चलाए।

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