बीजेपी ने पूर्ण राज्य का किया था वादा, अब घोंप दिया पीठ में छुरा; दिल्ली सेवा बिल पास होते ही बरसे केजरीवाल
(शशि कोन्हेर) : दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश की जगह लेने वाला विधेयक लोकसभा से गुरुवार को पास हो गया। इस पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। दिल्ली सीएम केजरीवाल ने बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है।
उन्होंने ट्वीट किया कि हर बार बीजेपी ने वादा किया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे। 2014 में पीएम मोदी ने ख़ुद कहा कि प्रधानमंत्री बनने पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे। लेकिन आज इन लोगों ने दिल्ली वालों की पीठ में छुरा घोंप दिया। आगे से उनकी किसी बात पर विश्वास मत करना।
बिल पास होने से पहले दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पास जीएनसीटीडी (संशोधन) विधेयक, 2023 लाने के पक्ष में एक भी वाजिब तर्क नहीं है और जोर दिया कि विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ कभी ऐसा नहीं होने देगा।
विधेयक पेश होने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में केजरीवाल ने कहा कि यह दिल्ली के लोगों को गुलाम बनाने वाला विधेयक है। केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा, ”आज लोकसभा में अमित शाह जी को दिल्ली वालों के अधिकार छीनने वाले विधेयक पर बोलते सुना।
विधेयक का समर्थन करने के लिए उनके पास एक भी वाजिब तर्क नहीं है। बस इधर-उधर की फ़ालतू बातें कर रहे थे। वह भी जानते हैं, वह गलत कर रहे हैं।” मुख्यमंत्री ने कहा, ”ये दिल्ली के लोगों को गुलाम बनाने वाला विधेयक है। उन्हें बेबस और लाचार बनाने वाला विधेयक है। ‘इंडिया’ ऐसा कभी नहीं होने देगा।”
गौरतलब है कि आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र प्रशासन में ग्रुप-ए अधिकारियों के नियंत्रण को लेकर केंद्र के साथ टकराव है। केंद्र ने मई में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अध्यादेश, 2023 जारी किया, जिसने दिल्ली में ”सेवाओं” का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंपने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलट दिया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को कहा था कि दिल्ली सरकार के नौकरशाहों के स्थानांतरण और पदस्थापना सहित सेवाओं पर नियंत्रण दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पास है। इसको पलटते हुए केंद्र सरकार ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लागू किया था. इस अध्यादेश की जगह ही विधेयक ले रहा है।