भाजपा के पास 13 पार्षद, निर्दलीय 7 और कांग्रेस के पास केवल एक पार्षद..! फिर भी भाजपा हार गई अध्यक्ष का चुनाव….. जानिए…कैसे..?
(शशि कोन्हेर) : जम्मू-कश्मीर/कठुआ – स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद भाजपा कठुआ नगर परिषद का चुनाव हार गई। शनिवार को निकले परिणाम में निर्दलीय उम्मीदवार राजेंद्र सिंह बब्बी 21 में से 12 पार्षदों के वोट हासिल कर प्रधान बन गए। बब्बी डोगरा स्वाभिमान संगठन के अध्यक्ष व पूर्व सांसद चौधरी लाल सिंह के भाई हैं। वहीं, भाजपा उम्मीदवार प्रेम नाथ डोगरा को मात्र आठ वोट मिले। एक पार्षद का वोट रद भी हुआ। परिणाम से साफ है कि भाजपा के चार पार्षदों ने क्रास वोटिंग की। बता दें कि प्रेम नाथ डोगरा को केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह का बेहद करीबी माना जाता है।
21 सदस्यीय कठुआ नगर परिषद में भाजपा के अपने 13 पार्षद थे। इसके अलावा सात निर्दलीय और एक कांग्रेस का पार्षद था। चुनाव से पहले भाजपा ने पहले तीन और उसके बाद छह निर्दलियों का समर्थन होने का दावा किया था। भाजपा उम्मीदवार प्रेम नाथ डोगरा ने जब नामांकन पत्र भरा तो 16 प्लस का समर्थन होने का दावा कर दिया। यही नहीं, भाजपा के पार्षद राहुल देव ने तो 19 पार्षदों का समर्थन होने का दावा किया। यही अतिविश्वास भाजपा की हार का कारण बन गया। दूसरी तरफ प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार राजेंद्र सिंह बब्बी कोई दावा करने के बजाय खामोशी से रणनीति बनाते रहे।
सूत्रों के अनुसार भाजपा के कुछ पार्षद बब्बी के साथ अंदरखाते हाथ मिला चुके थे। ये पार्षद चुनाव को लेकर होने वाली बैठकों में भी शामिल होकर पार्टी उम्मीदवार डोगरा, जिला प्रधान गोपाल महाजन व पूर्व मंत्री राजीव जसरोटिया को साथ होने का विश्वास दिलाते रहे। हालांकि भाजपा को अपने कुछ पार्षदों पर संदेह हो गया था, इसी के चलते चुनाव से दो दिन पहले उन्हें पार्टी भी दी गई थी। हैरानी की बात है कि ये नेता मतदान केंद्र तक भाजपा उम्मीदवार के साथ दिखे, लेकिन अंदर जाकर अपना काम कर गए।
भाजपा के नरेश शर्मा चार साल तक कठुआ नगर परिषद के प्रधान रहे। पिछले माह अगस्त में उन पर आरोप लगा कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व को लेकर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की है, यह आरोप साबित तो नहीं हुए, लेकिन उन्होंने खुद ही त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद फिर चुनाव करवाए गए और भाजपा को नगर परिषद से हाथ धोना पड़ा।