महज 12036 वोटों की वजह से हिमाचल प्रदेश में सत्ता से हाथ धो बैठी बीजेपी
(शशि कोन्हेर) : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर रही है. राज्य में 5 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस मात्र 60 से लेकर 860 वोटों के मार्जिन से चुनाव जीती है. हिमाचल में हमने 10 वैसी सीटों के आंकड़े का विश्लेषण किया जहां कांग्रेस सबसे कम अंतर से चुनाव जीती है.
इन 10 सीटों पर कांग्रेस बीजेपी से मात्र 12036 वोट ज्यादा लाई है. इन 12036 वोटों की बदौलत ही राज्य की सियासी तस्वीर बदल गई और बीजेपी की टैली 25 पर आकर अटक गई. अगर ये 10 सीटें बीजेपी की झोली में आती तो राज्य की सियासी तस्वीर अलग किस्म की होती. बता दें कि बीजेपी को इस चुनाव में 25 सीटें मिली है जबकि कांग्रेस को 40 सीटें आई है. राज्य में सरकार बनाने के लिए 35 सीटें चाहिए.
1- भोरंज सीट पर कांग्रेस के सुरेश कुमार ने मात्र 60 वोट के मार्जिन से जीत हासिल की है. उन्होंने बीजेपी के डॉ अनिल धीमान को हराया.
2- शिलाई विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के हर्षवर्धन चौहान ने बीजेपी के बलदेव सिंह को 382 वोटों से हराया है.
3- सुजानपुर सीट पर कांग्रेस के राजिन्दर सिंह ने बीजेपी के रणजीत सिंह राणा को 399 वोटों से शिकस्त की है.
4- रामपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के नंदलाल ने बीजेपी के कौल सिंह को मात्र 567 वोटों से मात दी है.
5- श्रीरेणुका जी सीट पर कांग्रेस के विनय कुमार ने बीजेपी के नारायण सिंह को 860 वोटों से मात दी है.
6- भट्टीयत सीट पर कांग्रेस के कुलदीप सिंह पठानिया ने बीजेपी के बिक्रम सिंह को 1567 वोटों से मात दी है.
7- लाहौल स्पीति सीट पर कांग्रेस के रवि ठाकुर ने बीजेपी के रामलाल मरकंडा को 1616 सीटों से चुनावी दंगल में शिकस्त दी है.
8- नाहन सीट पर कांग्रेस के अजय सोलंकी ने बीजेपी के डॉ राजीव बिंदल को 1639 मतों से चुनाव में पराजित किया है.
9- इंदौरा सीट पर कांग्रेस के मलेन्द्र राजन ने बीजेपी की रीता देवी को 2250 वोटों से हराया है.
10- जयसिंहपुर सीट पर कांग्रेस के यादविंदर गोमा ने बीजेपी के रविन्दर कुमार धीमान को 2696 वोटों से शिकस्त दी है.
अगर प्रतिशत के हिसाब से देखें तो 5 फीसदी के मार्जिन से बीजेपी ने 8 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस ने 15 सीटें जीती हैं. वैसी सीटें जहां जीत का मार्जिन 5 से 10 फीसदी रहा है वैसी 7 सीटें बीजेपी ने और 13 सीटें कांग्रेस ने जीती है.
37,974 वोटों के गणित ने किया जादू
हिमाचल प्रदेश चुनाव से जुड़ा एक और दिलचस्प आंकड़ा है. यहां पर इस बार मात्र 37,974 वोट से सरकार बदल गई. अगर प्रतिशत में देखे तो ये संख्या प्वाइंट नाइन (0.9)) है. यानी कि एक प्रतिशत से भी कम. लेकिन इसी प्वाइंट नाइन ने एक राज्य की सत्ता में बदलाव ला दिया.
हिमाचल प्रदेश में सत्ता को जो हस्तांतरण हुआ है वो मात्र 37,974 वोटों से हुआ है. यानी कि राज्य में बीजेपी को कांग्रेस से मात्र 37,974 वोट ज्यादा मिले हैं. लेकिन इन्हीं वोटों की बदौलत कांग्रेस चुनाव जीतकर विपक्ष से सत्ता में आ गई और बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई.
हिमाचल प्रदेश चुनाव से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करें तो हम पाते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस को कुल 18 लाख 52 हजार 504 वोट मिले. जबकि बीजेपी को कुल 18 लाख 14 हजार 530 वोट मिले. इस तरह से पूरे हिमाचल चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी से मात्र 37974 वोट ज्यादा पाए. लेकिन इस 37,974 वोटों का असर इतना व्यापक रहा कि बीजेपी कांग्रेस से 15 सीटें कम जीत पाई. इस चुनाव में बीजेपी को 25 और कांग्रेस को 40 सीटें मिली है. हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 35 सीटों की जरूरत होती है.
अगर प्रतिशत के हिसाब से देखें तो हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को 43.9 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि बीजेपी को 43 फीसदी वोट मिले हैं. इस तरह से बीजेपी कांग्रेस से दशमलव नौ (0.9) फीसदी वोट कम लाई लेकिन इस एक फीसदी से भी कम के फासले ने उसके हाथ हिमाचल की सत्ता छीन ली.
गुरुवार को जेपी नड्डा ने अपने संबोधन में इसका जिक्र किया था. नड्डा ने अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि ‘राज’ भले ही बदल गया हो लेकिन ‘रिवाज’ भी बदल गया है क्योंकि कांग्रेस बीजेपी के दो दलों के वोट शेयर में 1 प्रतिशत से भी कम का अंतर है.