छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा दोनों के पास.. अब, इस विजयादशमी से उस विजयादशमी तक का ही समय शेष है…. फिर..!

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। एक माह बाद नवंबर में 2022 में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के 4 साल पूरे हो जाएंगे। और तब प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए महज 1 साल का ही समय शेष रह जाएगा। मतलब यह कि भाजपा हो या कांग्रेस..! दोनों के ही पास अब सिर्फ इस विजयादशमी से लेकर,उस विजयादशमी का ही समय बचा हुआ है। और यही 1 साल तय करेगा कि विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश की सत्ता पर किस का परचम लहराएगा।

दो-तीन महीने पहले भाजपा में एकाएक बढ़ी आक्रामकता की यही वजह है। वो इस आखिरी 1 साल में कांग्रेस पर और अधिक हमलावर होती जाएगी। वहीं कांग्रेस को भी अपने भीतर के संतुष्ट असंतुष्ट सभी को साथ लेकर लक्ष्मण मस्तुरिया का यह गीत गाना पड़ेगा… मोर संग चलो रे.. मोर संग चलो गा..! जाहिर है कि इन दोनों पार्टियों में से जिसके पीछे चलने वाला कारवां जितना बड़ा होगा….उसे आने वाले चुनाव में उतनी ही बड़ी जीत मिलेगी।

आगामी विधानसभा चुनाव में होने वाली हार जीत का फैसला भी इसी 1 साल पर निर्भर करेगा। भाजपा इस पूरे साल भर कांग्रेस की खामियां निकालने और उस पर हमला करने के नए-नए पैंतरे आजमाती रहेगी। जबकि कांग्रेस, विकास के अपने कार्यों को और तेज कर पिछले चुनाव में मिले जनता के भरोसे को बनाए रखने में अपनी पूरी ऊर्जा झोंकने का प्रयास करेगी। इस विजयादशमी से लेकर उस विजयादशमी तक के इन 12 महीनों में नेताओं के बयान और भाषण दिनोंदिन आक्रामक और तल्ख होते जाएंगे। पांच सालों में हमने ये किया.. हमने वो किया.. तुमने क्या किया जैसे डायलॉग छत्तीसगढ़ की फिजा में घुमडते रहेंगे। और आने वाले इस एक साल में कुर्सी पर बैठने वाले शासक सेवक की मुद्रा में जनता के पास जाने लगेंगे। वही जनता भी अब प्रजातंत्र की प्रजा से अलग भूमिका अपना कर प्रजातंत्र के राजा की भूमिका में आ जाएगी।

4 साल तक अपने नाज नखरो का प्रदर्शन करने वाले नेताओं को अब मतदाताओं के नाज नखरे झेलने होंगे। वैसे तो छत्तीसगढ़ के सियासी रंगमंच पर अगर भाजपा आगामी चुनाव के लिए तेजी से तैयार हो रही है तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस भी म्यान में पड़ी अपनी तलवारों को बाहर निकाल कर उसकी धार तेज कर रही है। बीते 4 साल में कांग्रेस ने क्या किया और भाजपा क्या करती रही..? इसे जनता अपने वोट के तराजू पर तौलेगी। और फिर आने वाले विधानसभा चुनाव में जो उसे अपना पसंदीदा लगेगा, उसके ही माथे पर तिलक लगा देगी। कुल जमा लब्बोलुआब यह है कि इस विजयादशमी से उस विजयादशमी तक राजनीतिज्ञों की फुर्सत हर दिन खत्म होती जाएगी और उनकी दौड़ भाग उसी गति से बढ़ती जाएगी। पूरे प्रदेश की तरह हमारी नजर भी इसी बात पर रहेगी कि आने वाले 12 माह में अर्थात इस विजयादशमी से उस विजयादशमी तक प्रदेश की दोनों ही प्रमुख पार्टियां आम जनता का दिल जीतने के लिए क्या क्या जतन करती हैं।

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