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जगुआर-लैंडरोवर को खरीद कर, रतन टाटा ने फोर्ड मोटर से ऐसे लिया था अपमान का बदला….

टाटा मोटर्स भले आज ऑटोमोबाइल सेक्टर में देश-दुनिया की बड़ी कंपनी है, लेकिन एक समय ऐसा था कि टाटा मोटर्स के तत्कालीन सर्वेसर्वा रतन टाटा अपनी स्वदेसी कार टाटा इंडिका को अच्छा रिस्पॉन्स ना मिलने से दुखी हो गए थे और उन्होंने टाटा मोटर्स को बेचने का फैसला कर लिया था। इसके लिए वह अमेरिका जाकर फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन बिल फोर्ड से भी मुलाकात की थी, लेकिन फोर्ड ने उन्हें कुछ ऐसा कह दिया कि यह डील तो ना हो सकी, उल्टा बाद में जब फोर्ड की हालत खराब हुई तो टाटा मोटर्स ने उनसे जगुआर लैंड रोवर कंपनी ही खरीद ली।

वर्ष 1998 के दरमियां जब टाटा मोटर्स की स्वदेसी कार टाटा इंडिका भारतीय बाजार में कुछ खास नहीं कर रहा थी और अमेरिकी और जापानी कंपनियों की कार का दबदबा बढ़ रहा था तो ऐसे वक्त में रतन टाटा की भी हिम्मत टूटने लगी और उन्होंने टाटा मोटर्स को बेचने का फैसला किया और उस समय की पॉपुलर अमेरिकी कंपनी फोर्ड मोटर्स को पोटेंशियस बायर्स के रूप में देखा।

साल 1999 में रतन टाटा और उनकी टीम फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन बिल फोर्ड से मिलने और डील को अंजाम देने के इरादे से अमेरिका पहुंचे। अमेरिका में उनकी बिल फोर्ड से मुकालात भी हुई, लेकिन इस दौरान कुछ ऐसा हुआ, जिसकी रतन टाटा को उम्मीद नहीं थी। बिल फोर्ड ने बड़े अहंकार से रतन टाटा को ताना मारते हुए कहा कि जब आपको इस इंडस्ट्री के बारे में जानकारी ही नहीं थी तो आना ही नहीं चाहिए था। हद तो तब हो गई, जब बिल फोर्ड ने ये तक बोल दिया कि वह टाटा मोटर्स को खरीदकर उनपर ऐहसान ही कर रहे हैं।

बिल फोर्ड की ये बेरुखी बातें रतन टाटा के दिल में अपमान की सुई की तरह चुभी और वह टाटा मोटर्स को बेचने का फैसला त्याग कर भारत लौट गए। इस अपमान से आहत रतन टाटा ने दोगुनी मेहनत से टाटा मोटर्स की बेहतरी की कोशिश की और फिर इंडिका वी2 अपडेटेड मॉडल लॉन्च करने के साथ ही सफारी, सुमो जैसी गाड़ियों पर फोकस किया और उनमें बेहतर सेफ्टी और माइलेज पर जोर दिया, जिसका ये असर हुआ कि कंपनी चल पड़ी।

2008 में अमेरिका में रिसेसन की ऐसी मार पड़ी कि फोर्ड मोटर्स की हालत खराब हो गई। ऐसे वक्त में फोर्ड एक-एक करके वॉल्वो और हर्ट्ज जैसी कंपनियों को बेच रही थी, उस समय फोर्ड के जीवन में फिर से टाटा मोटर्स की एंट्री हुई और फिर रतन टाटा ने अपने अपमान का ऐसा बदला लिया कि दुनिया उनकी मुरीद हो गई। जी हां, टाटा मोटर्स ने 2008 में 2.3 बिलियन डॉलर में फोर्ड की लग्जरी कंपनी जगुआर लैंड रोवर (JLR) को खरीद लिया। आज जेएलआर देश-दुनिया में हर साल हजारों-लाखों गाड़ियां बेचती हैं।

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