चाकूबाजों को पकड़िए पुलिस साहब…ये अब पूरे शहर को डराने लगे हैं…
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – किसी समय अमन का टापू कहा जाने वाला बिलासपुर अब चाकूबाज छोकरों के कारण दहशतजदा होता जा रहा है। आमतोर पर 16, 17, 18, 19, 20 और 21 साल की जिस उम्र को, जिंदगी संवारने और भविष्य बनाने की अहम पायदान माना जाता है। उसी उम्र में बिलासपुर शहर के बिगड़ैल छोकरे, छूरे चाकू चलाकर यहां के अमन चैन को तार-तार करने में लगे हुए हैं। हालत यह है कि आज अगर बिलासपुर शहर किसी एक मामले में रायपुर की बराबरी करता दिख रहा है तो वो चाकूबाजी ही है।
छोटी-छोटी बात पर जिस तरह रायपुर में छूरे चाकू चल रहे हैं। ठीक उसी तरह बिलासपुर में भी जरा जरा सी बात पर चाकू से जानलेवा हमले किया जा रहे हैं। अब यदि चाकूबाजी का शिकार हुए शख्स की किस्मत अगर अच्छी है, तो वो गंभीर रूप से घायल होकर जीवित घर वापस आ सकता है। अन्यथा उसे अपनी जान भी गंवानी पड़ सकती है। हम यहां इन आंकड़ों में नहीं पड़ना चाहते कि बिलासपुर शहर में बीते 6 महीने में या बीते 1 साल में अथवा एक माह में चाकूबाजी की कितनी घटनाएं हुईं..? आंकड़ों के इस खेल से परे बिलासपुर में 16 साल से 21 साल के युवाओं को बिगाड़ने और गलत राह पर ले जाने वाले जितने गिरोहबाज अधकचरे सफेदपोश.., बिलासपुर शहर में कुकुरमुत्ते की तरह पनप रहे हैं। उन पर जब तक वार नहीं किया जाएगा तब तक चाकूबाज छोकरों की पौध को पनपने से रोका नहीं जा सकता।
हम पहले भी यह बता चुके हैं कि बिलासपुर शहर में गिरोह बंदी और जमीन के गोरखधंधे तथा सियासत से दोस्ताना रखने वाले कुछ लईका पकडैया किस्म के लोग इस शहर की नस्ल को बिगाड़ने में लगे हुए हैं। इनकी नजर शहर की जरहाभाटा मगरपारा तालापारा चांटीडीह, चिंगराजपारा में रहने वालों सहित शहर के मध्यम, निम्न मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों के कुलदीपकों पर लगी रहती है। ऐसे लोगों को ही लईका पकड़ईया किस्म के लोग अपने धतकरमों के लिए नरम चारा मानते हैं। और उन्हें जरा सी नशा पत्ती के साथ, थोड़ा बहुत खर्च कर शिक्षा के मंदिरों से अपराध की डगर तक की खींच लाते हैं।
बिलासपुर शहर की फिजां को खराब कर रही चाकूबाजी की वारदातों के लिए पुलिस प्रशासन को आप चाहे जितना भी भला बुरा बोल लीजिए। लेकिन उनसे अधिक दोष उन राजनीतिज्ञों का है। जिन्हें समय-समय पर शक्ति प्रदर्शन में भीड़ दिखाने के लिए किशोरवय के छोकरों और जवानी की दहलीज पर ताजा ताजा पैर रखने वाले जोशीले नवयुवकों और नौजवानों की थोक में जरूरत पड़ती है। राजनीतिक दलों के नेता, ऐसी भीड़ जुटाने के लिए ही, सफेदपोश लईका पटकडैया किस्म के दो चार लोगों को दूध-लाई देकर अपनी छांह में पाला करते हैं। बिलासपुर शहर के राजनीतिज्ञ जब तक यहां की युवा पौधों को बर्बाद करने वाले अपने ऐसे गुर्गों को दूध में पड़ी मक्खी की तरह बाहर निकाल कर फेक नहीं देते। और इसके साथ ही पुलिस भी शहर की युवा पौधों को बिगाड़ने और संरक्षण देने वाले ऐसे तत्वों की रीढ़ पर वार नहीं करेगी। तब तक चाकूबाजी की घटनाओं से बिलासपुर शहर की सड़कें लाल होती रहेंगी।