केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में बड़ा बयान….किसी भी राज्य को मिले स्पेशल स्टेटस को बदलने का इरादा नहीं
(शशि कोन्हेर) : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बड़ा बयान दिया है कि केंद्र का उत्तर- पूर्वी राज्यों या किसी राज्य में लागू स्पेशल स्टेटस को छूने का कोई इरादा नहीं है. कोर्ट ने केंद्र के भरोसे को रिकॉर्ड पर लिया है. कोर्ट ने कहा कि वो किसी दूसरे क्षेत्र में नहीं जाएगा . कोर्ट ने अनुच्छेद 370 मामले में दाखिल अर्जी पर सुनवाई बंद की. एक अर्जी पर वकील मनीष तिवारी की दलीलों का केंद्र ने कड़ा विरोध करते हुए ये बात कही .
दरअसल, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मामले में सुनवाई के 9वें दिन पांच जजों के संविधान पीठ के सामने एक अर्जी पर बहस करते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि 370 का असर पूर्वोत्तर राज्यों को दिए गए स्पेशल स्टेटस पर भी पड़ेगा, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया, कहा कि हमें इस मामले में बीच के अंतर को समझना होगा.
हम यहां जम्मू-कश्मीर में लागू अस्थाई 370 विचार कर रहे हैं. यहां मुद्दा उत्तर- पूर्वी राज्यों में लागू स्पेशल स्टेटस का नहीं है. हम भरोसा दिलाना चाहते हैं कि केंद्र का किसी भी उत्तर- पूर्वी राज्य या और किसी राज्य के स्पेशल स्टेटस को छूने का कोई इरादा नहीं है.
इस पर CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, हमें आशंकाओं में क्यों जाना चाहिए, जब केंद्र का ऐसा कोई इरादा नहीं है तो हमें इसकी आशंका क्यों होनी चाहिए. केंद्र सरकार के बयान से आशंकाएं दूर हो गई हैं. जस्टिस एसके कौल ने कहा- अनुच्छेद 370 अस्थायी . बेशक यह तर्क दिया गया है कि यह अस्थायी नहीं , लेकिन यह अस्थायी ही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस अर्जी पर सुनवाई नहीं करेंगे.
हम केंद्र के भरोसे को रिकॉर्ड पर लेंगे और सुनवाई को बंद करेंगे. हम आशंकाओं पर सुनवाई नहीं करेंगे और ना ही 370 के अलावा किसी दूसरे क्षेत्र में प्रवेश करेंगे.
दरअसल 370 पर सुनवाई के दौरान अरुणाचल प्रदेश के नेता पादी रिको की तरफ से बहस करते हुए वकील मनीष तिवारी ने कहा कि 370 को हटाने का असर पूर्वोत्तर के राज्यों में जारी विशेष प्रावधान 371 पर भी पड़ेगा.
मनीष तिवारी के इस बयान पर केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ऐतराज जताते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्यो को मिले विशेष अधिकारों को छूने का कोई इरादा नहीं है. चीफ जस्टिस ने भी केन्द्र सरकार के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने अपने बयान से आशंकाएं दूर कर दी है और अदालत को इस मामले में नहीं जाना है.