(शशि कोन्हेर) : देश भर में मनाए जाने वाले चार दिवसीय छठ महापर्व 2022 की शुरुआत शुक्रवार से हो रही है। इसका समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ सोमवार (31 अक्टूबर) को होगा। इस महापर्व में 36 घंटे निर्जला उपवास किया जाता है, इस लिहाज से आस्था का यह त्योहार शांति और तपस्या के साथ मनाया जाता है।
नहाय खाय से होगी पर्व की शुरुआत
आस्था के प्रतीक छठ महापर्व 2022 की शुरुआत नहाय खाय से शुक्रवार से होगी। इस दिन छठ व्रती घर से बेहद नजदीक की किसी नदी में स्नान करते हैं। फिर इसके बाद सिर्फ सुबह खाना खाते हैं। आमतौर पर सुबह चावल-दाल खाया जाता है। इसके साथ ही चार दिवसीय पर्व की शुरुआत हो जाती है। चार दिवसीय पर्व के दौरान सिर्फ एक समय ही खाना खाया जाता है, इस लिहाज से यह 36 घंटे निर्जला उपवास वाला त्योहार होता है।
दूसरे दिन (29 अक्टूबर) होगा खरना
नहाय खाय के दूसरे दिन खरना होता है। दरअसल, छठ महा पर्व के दूसरा दिन खरना होता है। इस रोज भोग तैयार किया जाता है। इसमें यानी खरना के दूसरे रोज की शाम के समय मीठा भात या लौकी की खिचड़ी खाने का नियम है। इसके बाद व्रत का तीसरा दिन दूसरे दिन के ठीक बाद ही शुरू हो जाता है।
तीसरे दिन दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा में तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। सूप में दूध या जल भरकर उगते सूर्य़ को अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। शाम को छठ व्रती महिलाएं या पुरुष पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। रविवार (30 अक्टूबर) को तीसरे दिन सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 37 मिनट है। ऐसे में इसी समय दिल्ली-एनसीआर में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है पर्व का समापन
इस व्रत में किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती है। सूर्य देवता की पूजा पूरी आस्था के साथ की जाती है। भगवान सूर्य की उपासना में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय व्रती घाट में खड़े होकर अर्ध्य देने की परंपरा है। इस तरह चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जाता है।