( शशि कोन्हेर) रायपुर : राज्य के विभिन्न निर्माण विभागों में जैसे कि लोक निर्माण विभाग,जल संसाधन,प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ,नगर निगम व नगरपालिका,ग्रामीण अभियांत्रिकी (आरईएस), छत्तीसगढ़ सर्विसेज बोर्ड, कृषिज उपज मंडी बोर्ड, गृह निर्माण मंडल,विकास प्राधिकरण आदि में प्रदेश के ठेकेदारों द्वारा निर्माण कार्य किया जाता है। जिसकी सुविधा प्रदेश के आम जनता तक पहुंचती है। परन्तु राज्य शासन द्वारा ठेकेदारों के साथ सौतेला व्यवहार लगातार किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेश शुक्ला ने जारी बयान में बताया कि बाजार में आज निर्माण सामग्री की कीमतें 50 से 60 फीसदी बढ़ चुके हैं। लोहा, सीमेंट, डामर, एल्युमिनियम, रेत, गिट्टी, मुरूम, मिट्टी, सेनेटरी आइटम, पेंट, बिजरी के उपकरण महंगे हो चुके हैं।
विभिन्न निर्माण विभागों में अलग अलग नियमावली बनाकर ठेकेदारों के साथ अन्याय किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ कांटे्रक्टर्स एसोसिएशन की ओर से पूर्व में कई बार शासन प्रशासन को अवगत कराया गया है,परन्तु अभी तक इस विषय में कोई ध्यान नहीं दिया गया है। जैसे लोक निर्माण विभाग में थर्ड पार्टी चेकिंग इंजीनियरों की नियुक्ति और 5 साल तक परफार्मेस गारंटी जैसी व्यवस्था। जबकि जल संसाधन विभाग में 10 वर्ष की परफार्मेंस की बाध्यता रखी गई हैं, यह विभाग नहर और लाइनिंग का काम करता हैं। सभी निर्माण विभागों में गौण खनिज की रायल्टी वसूली 4 से 5 गुना की जा रही है जबकि अनुबंध पत्रक में रायल्टी वसूली के अलग आदेश दर निर्धारित किया गया है।
मध्यप्रदेश, गुजरात सरकार निर्माण ठेकेदारों को एसओआर और बाजार मूल्य के अंतर की क्षतिपूर्ति देने का आदेश किया हैं। छत्तीसगढ़ में एसोसिएशन ने राज्य शासन से निर्माण विभाग में लगे हुए ठेकेदारों को भी शासन अंतर की राशि देने का आदेश जारी करने का आग्रह है। ताकि ठेकेदार की माली हालत में सुधार हो सकें। वर्तमान में प्रदेश के ठेकेदार बाजार में उधारी और बैंक लोन के कर्ज में डूब चुके हैं।