छत्तीसगढ़ भाजपा में “बदलाव” के संभावित बवंडर की दहशत….
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – वैसे तो बीते विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही छत्तीसगढ़ के बीजेपी में जिस तरह के आमूलचूल बदलाव के बादल घुमड रहे थे। वो अब देर से ही सही प्रदेश भाजपा के दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक देने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में भाजपा का शायद ही कोई ऐसा नेता इस वक्त होगा। जिसे इस बदलाव की बेसब्री या डर न लग रहा हो। मतलब यह कि पार्टी में जनाधार वाले जो नेता इधर उधर ओने कोने पर हाशिए में पड़े हैं.. उन्हें पार्टी संगठन में होने वाले इस संभावित बदलाव का बेसब्री से इंतजार है। ऐसे उपेक्षित मायूस और हतोत्साहित कार्यकर्ताओं नेताओं को उम्मीद है कि यह बदलाव पार्टी में उनकी कद काठी को ऊंचा कर सकता है।
वहीं जो भारी – भरकम नेता इस वक्त पार्टी के बड़े-बड़े पदों और महत्वपूर्ण भूमिकाओं में दिख रहे हैं। उनमें बदलाव की इन खबरों को लेकर खासी दहशत और चिंता झलक रही है। यह बात साफ दिखाई दे रही है कि “बदलाव का यह बवंडर” बहुतों को अपने प्रभाव में ले लेगा। लेकिन छत्तीसगढ़ी कहावत “ऊंचे घर को पवन अधिक लगती है”की तरह बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोगों का इस समय ना तो खाने में मन लग रहा है। और न सोने में.. बिस्तर पर रात भर पड़े पड़े कंडेरी गिनना पड़ रहा है। इसे लेकर भाजपा में जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। किसी में कहा जा रहा है कि पार्टी के न केवल प्रदेश अध्यक्ष, वरना नाकारा और अमरबेल साबित हो रहे जिला और मोर्चा नेताओं को नीचे की ओर खिसकाकर वहां से वेटिंग लिस्ट में पड़े नेताओं को ऊपर बिठाया जाएगा।
हमारे रायपुर के साथी और वरिष्ठ पत्रकार श्री रामावतार तिवारी का मानना है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव राय की छुट्टी नहीं होगी। उन्हें यथावत रखकर सामाजिक समीकरण के हिसाब से दो और कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएंगे।
इनमें से एक कार्यकारी अध्यक्ष साहू समाज से बिलासपुर सांसद डॉक्टर अरुण साव को बनाया जा सकता है। जबकि दूसरा कार्यकारी अध्यक्ष कुर्मी समाज से श्री विजय बघेल अथवा किसी और को बनाया जा सकता है। श्री तिवारी के अनुसार इस बदलाव की आंच नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को भी लग सकती है। उस कुर्सी की ओर काफी दिनों से कुर्मी समाज के एक अन्य भाजपा नेता अजय चंद्राकर के समर्थकों की नजर लगी हुई है।
लेकिन अंदर खाने की बात यह है कि भाजपा का नेतृत्व नेता प्रतिपक्ष श्री धरमलाल कौशिक के पद को यथावत रखेगा। इसका कारण यह है कि केंद्रीय नेतृत्व उन्हें easy-going मानता है। जो हमेशा ही जैसा पार्टी बोलती है वैसा ही करने पर विश्वास रखते हैं। फिर श्री कौशिक का गुटीय लचीलापन भी उनकी स्थिति मजबूत करता रहा है। जबकि अजय चंद्राकर के “बोल” और गैरजरूरी आक्रामकता से पार्टी परहेज करती रही है। इसलिए पार्टी में नेता प्रतिपक्ष का पद बदलाव से अप्रभावित रखने की बात कही जा रही है।
बदलाव के बवंडर से ही तय होगा कि छत्तीसगढ़ भाजपा में तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह की भूमिका क्या रहेगी..? साथ ही पार्टी के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल का रोल क्या रहेगा..? जैसा कि हम पहले कह चुके हैं प्रदेश के इन प्रमुख पदों के अलावा मोर्चा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्षों का चेहरा भी बदला जाएगा। जिसका सीधा मतलब बदलाव की यह जलधारा नीचे बहुत दूर तक चली जाएगी। इन बदलावों से अपने लिए नई उम्मीदों का सपना देख रहे भाजपा नेताओं को बेसब्री से इसका इंतजार है। देखना यह है कि छत्तीसगढ़ भाजपा को आमूलचूल बदलने वाला यह संभावित बदलाव झमाझम मानसून के दौरान आता है या फिर उसके बाद…!