छत्तीसगढ़

चीन ने भी खोजे “प्रभु श्रीराम के पदचिह्न”..

प्रभु श्रीराम और उनकी रामायण गाथा काल्पनिक नही है। अब चीन ने भी प्रभु श्रीराम के पद चिह्न खोजने का दावा किया है। इससे पहले नासा समेत कई अन्य रिपोर्ट में श्रीराम सेतु समेत अन्य प्रमाणों के जरिये प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को प्रमाणित किया जा चुका है।

हिंदुओं में आराध्य देव श्रीराम के वास्तविक अस्तित्व पर अब चीनी स्कॉलरों ने भी अपनी मुहर लगा दी है। इससे साफ हो गया है कि प्रभु श्रीराम ने वास्तव में पृथ्वी पर त्रेता युग में अवतार लिया था और उनकी रामयण गाथा काल्पनिक नहीं थी।

चीनी विद्वानों ने कहा है कि चीन के पास सदियों से बौद्ध धर्मग्रंथों में छिपी रामायण की कहानियों के पदचिह्न हैं, जो शायद पहली बार देश के उतार-चढ़ाव वाले इतिहास में हिंदू धर्म के प्रभाव को सामने ला रहे हैं।

शनिवार को बीजिंग में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित “रामायण- एक कालातीत मार्गदर्शिका” संगोष्ठी में धार्मिक प्रभावों पर लंबे समय से शोध से जुड़े कई चीनी विद्वानों ने उन ऐतिहासिक मार्गों का पता लगाते हुए स्पष्ट प्रस्तुतियां दीं, जिनके माध्यम से रामायण चीन तक पहुंची और चीनी लोगों पर इसका प्रभाव पड़ा। चीनी स्कॉलरों ने अपने शोध के दौरान प्रभु श्रीराम के पदचिह्नों की खोज करने का प्रमाणिक दावा किया है।

जियांग ने कहा, ” रामायण की वास्तविकता का एक प्रसिद्ध उदाहरण यह है कि हनुमान को वानरों के राजा के रूप में दिखाया गया था, जो क्लासिक बौद्ध नैतिक आख्यानों में मिश्रित था और जो बौद्ध शिक्षाओं का पालन करते थे।

सन वुकोंग के नाम से जाने जाने वाले मानवीय विशेषताओं वाले बंदर राजा चीनी साहित्य और लोककथाओं में सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला और सबसे स्थायी स्थान पर बना हुआ है।

चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्ट्रैटेजीज के प्रो लियू जियान ने अपनी प्रस्तुति में कहा कि कई चीनी विद्वान इस बात से सहमत हैं

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