बिलासपुर

सिटी बस शुरू करने के लिए आंदोलन करने वाले “अभिषेक चौबे”की सड़क दुर्घटना में जिस दिन मौत हुई उसी दिन शहर में फिर से शुरू हुई सिटी बस

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। बिलासपुर-कोटा मार्ग पर सोमवार को तड़के सुबह लगभग तीन बजे राधिका वाटर पार्क के पास हुई सड़क दुर्घटना ने असीम संभावनाओं वाले एक युवा को बिलासपुर से छीन लिया। इस सड़क दुर्घटना में अपनी जान गवाने वाले अभिषेक चौबे केवल एक कोचिंग टीचर ही नहीं, बहुमुखी प्रतिभा से लबालब बेहद उत्साही युवा थे। अपने परिवार की उम्मीदों के केंद्र और दोस्तों यारों तथा शहर की समस्याओं पर कुर्बान होने वाले इसे युवा की सड़क दुर्घटना में हुई मौत बिलासपुर के लिए एक ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई शायद ही कभी हो पाएगी। बिल्हा क्षेत्र के अमसेना गांव का रहने वाला था अभिषेक चौबे। बहुत उद्यमी था। अपनी बहन की शादी को लेकर अक्सर जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता विक्रांत तिवारी से जिक्र किया करता था। खुद भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ साथ बच्चों को पढ़ाने का कार्य (कृषि कोचिंग इंस्टीट्यूट पीके सीआई के माध्यम से) मंगला में करता था।

2017 में उसके द्वारा पहला बैच पढ़ाया गया था। तब से लगातार बच्चों को कोचिंग देने के साथ-साथ खुद भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटा हुआ था। गांव के प्रतिभावान ऐसे गरीब बच्चे अभिषेक चौबे के पास हमेशा दिखा करते थे। जिनके परिवार के पास उन्हें पढ़ाने लिखाने तथा आगे बढ़ाने के लिए पैसे नहीं हुआ करते। वह ऐसे गरीब बच्चों को बिना पैसा लिए फ्री में कोचिंग दिया करता था। बिलासपुर में सिटी बसों के बंद होने से लोगों को हो रही पीड़ा से खासा व्यथित था अभिषेक..! विक्रांत तिवारी के साथ आजाद युवा मंच बनाकर बिलासपुर के जुझारू और दमदार नेता श्री अरुण तिवारी के मार्गदर्शन में सिटी बसों को फिर से शुरू करने के लिए लगातार संघर्ष उसकी दिनचर्या में शामिल हो गया था।

ऐसे असीम संभावनाओं वाले युवा अभिषेक की सड़क दुर्घटना में मौत से उनके परिजनों पर तो दुख का पहाड़ टूटा ही है। साथ ही उसे जानने पहचानने वाले भी दुख के असीम सागर में डूब चुके हैं। आकर्षक व्यक्तित्व, मनमोहक छवि,मिलनसार उदार लेकिन जुझारू इस युवा का हंसता मुस्कुराता चेहरा अभिषेक चौबे को जानने वाले शायद ही कभी भूल पांए । इसे भी एक विडंबना ही कहेंगे कि सिटी बस के लिए संघर्ष करने वाले अभिषेक चौबे कि जिस दिन तड़के सुबह सड़क दुर्घटना में मौत हुई। उसी दिन बिलासपुर शहर में महापौर श्री रामशरण यादव तथा सभापति शेख नजीरूद्दीन और निगमायुक्त के द्वारा सात सिटी बसों को फिर से शहर की सड़कों पर दौड़ाने के लिए हरी झंडी दिखाई गई।

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