सीजेआई चंद्रचूड़ ने सात समंदर पार की भारतीय पत्रकारों की तारीफ….
देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ इन दिनों G-20 देशों के सुप्रीम कोर्ट के प्रमुखों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील के दूसरे सबसे बड़े शहर रियो-डि जेनेरो गए हुए हैं। मंगलवार (14 मई) को शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने भारतीय पत्रकारों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि गलत सूचनाओं के रोकने और कानूनी कार्यवाही की गलतफहमी को दूर कर सटीक अदालती समाचारों को सबके सामने लाने में भारत के कानूनी पत्रकार बखूबी भूमिका निभा रहे हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय अदालतें लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना के लिए संकट के समय में भी न केवल अहम भूमिका निभाई हैं बल्कि तकनीक का इस्तेमाल कर अदालतों को सर्वसुलभ बनाया है। CJI ने कहा कि भारत की न्यायपालिका भौतिक स्वरूप से आगे निकलकर वर्चुअल मोड में भी तेजी से कार्य कर रही हैं और अदालती प्रकियाओं और उनके फैसलों से लोगों को अवगत कराने के लिए तकनीक का सहारा ले रही हैं।
उन्होंने कोविड-19 संकट का जिक्र करते हुए कहा कि जब फिजिकल मोड में अदालतों के संचालन में दिक्कत आई तो भारत ने वर्चुअल मोड को तेजी से अपनाया। उन्होंने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिए भारत में 7,50,000 से अधिक मामलों की सुनवाई की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि कई अहम मामलों खासकर संवैधानिक मामलों की सुनवाई को यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम भी किया गया।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत में अदालतें अपने फैसले आम जनमानस पर थोपती नहीं हैं बल्कि लोकतांत्रिक तौर-तरीकों से मुकदमों का निपटान करती हैं। उन्होंने अदालतों की पारदर्शिता पर जोर दिया और कहा कि भारत में अदालतें पारदर्शी प्रक्रिया अपना रही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में पत्रकार अदालती फैसलों की सही जानकारी लोगों तक पहुंचाने में सक्षम रहे हैं।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने J20 शिखर सम्मेलन में ‘Digital Transformation and use of technology to enhance judicial efficiency’ विषय पर बात की। न्यायिक दक्षता पर बात करते हुए सीजेआई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इसे एक न्यायाधीश की दक्षता से परे देखा जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि इसे प्रक्रिया के रूप में भी अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “जब हम न्यायिक दक्षता की बात करते हैं, तो हमें इसे न्यायाधीश की दक्षता से परे देखना चाहिए और एक समग्र न्यायिक प्रक्रिया के बारे में सोचना चाहिए। दक्षता न केवल परिणामों में निहित है, बल्कि इन प्रक्रियाओं में भी निहित है – जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की जिम्मेदारी आम जनमानस के प्रति भी है कि उन्हें सही समय पर न्याय सुलभ हो। बता दें कि J20 शिखर सम्मेलन में G-20 देशों के अलावा यूरोपीय यूनियन और अफ्रीकी यूनियन के सदस्य देशों के भी प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं।