कांग्रेस ने गुजरात में हार का ठीकरा प्रदेश नेतृत्व पर फोड़ा
(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली : गुजरात विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने गुरुवार को खराब प्रदर्शन के लिए राज्य नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है। चुनाव परिणाम के बाद पार्टी ने कहा कि यह आत्मनिरीक्षण करने के साथ-साथ कठोर निर्णय लेने का समय है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आम आदमी पार्टी और AIMIM पर भारतीय जनता पार्टी के साथ सांठगांठ का आरोप लगाते हुए दावा किया कि ये दोनों पार्टियां सत्ताधारी पार्टी के अनौपचारिक गठबंधन सहयोगी थे। हालांकि, उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जोरदार प्रचार अभियान के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया है।
AIMIM एवं आप को बताया भाजपा का गठबंधन
कांग्रेस महासचिव ने पत्रकारों से कहा, ‘गुजरात के चुनाव नतीजे अत्यंत निराशाजनक हैं। हम इसकी उम्मीद नहीं कर रहे थे। गुजरात में कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला नहीं था। वहां एक तरफ भाजपा और AIMIM एवं आप का गठबंधन था, तो दूसरी तरफ कांग्रेस थी।’
उन्होंने कहा कि हमारा वोट प्रतिशत 27 है। यह 40 प्रतिशत से घटकर हुआ है। 27 प्रतिशत वोट कम नहीं होता और यह एक चुनाव में 40 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।
स्थानीय नेतृत्व को ठहराया जिम्मेदार
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के अलावा कई नेताओं के प्रचार-प्रसार करने के बाद भी भाजपा बुरी तरह से हार गई। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर दोनों हिमाचल से ही हैं।
उन्होंने कहा कि हम कोई बहाना नहीं बना रहे। यह आत्मचिंतन का समय है, एकजुट होने का समय है। नया नेतृत्व लाने का समय है। गुजरात में अभी कई मुद्दे हैं। उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय नेतृत्व को लेकर कठोर निर्णय लेने का वक्त है। पूरे प्रदेश में प्रचार अभियान प्रदेश नेतृत्व ने ही चलाया था।
हिमाचल में जनता ने सौंपी बड़ी जिम्मेदारी
मालूम हो कि भाजपा को गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में 52.5 प्रतिशत मत के साथ 156 सीट मिली है। मुख्य विपक्षी कांग्रेस 27 प्रतिशत मतों के साथ 17 सीट पर सिमट गई। वहीं, आप को करीब 13 प्रतिशत मतों के साथ पांच सीट हासिल हुई। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत पर कहा कि जनता ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है और अब सरकार को पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने समेत विभिन्न वादों को पूरा करना है।