कांग्रेस प्रभारी बदलने पर भाजपा के बयान पर कांग्रेस का पलटवार..अपने गिरेबान में झांके भाजपा…तीन महिने में ही अरुण साव के बदलने की चलने लगी चर्चा…
(शशि कोन्हेर) : रायपुर : कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी के बदलाव पर भाजपा के बयानबाजी को कांग्रेस ने अवांछित बताया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा जिन पीएल पुनिया के हटने पर सवाल खड़ा कर रही, उन्ही पीएल पुनिया ने अपने संगठन क्षमता के दम पर और मार्गदर्शन में भाजपा के अहंकार को 2018 में तोड़ दिया था और भाजपा मात्र 14 सीटो पर सिमट गयी थी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का मुकाबला करने के लिये भाजपा को कुछ सूझ नहीं रहा, अभी तक भाजपा ने 4 साल में 4 प्रभारी बदल दिया है।
पहले सौदान सिंह फिर अनिल जैन उसके बाद डी. पुरंदेश्वरी अब ओम माथुर। कांग्रेस प्रभारी तो अपना कार्यकाल करने के बाद सांगठनिक फेरबदल में बदले गये है। भाजपा को अपने संगठन के बदहाल स्थिति पर आत्मअवलोकन करना चाहिये के छत्तीसगढ़ में वह हर हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी बदलना पड़ रहा।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस की नई प्रभारी कुमारी शैलजा देश की अनुभवी नेताओं में से एक है। दो बार केंद्रीय मंत्री, चार बार लोकसभा एक बार राज्यसभा हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान जैसे राज्य की प्रभारी का दायित्व निभा चुकी कुमारी शैलजा के मार्गदर्शन में कांग्रेस 2023 में एक बार फिर से भाजपा को धूल चटायेगी। कांग्रेस के पास छत्तीसगढ़ में मजबूत नेतृत्व और जनसरोकार वाली सरकार है जिसने राज्य के हर वर्ग के लिये पिछले 4 साल में काम किया है।
भाजपा के पास कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विश्वसनीयता को टक्कर देने के लिये कोई नेता नहीं बचा है। भाजपा के 4 अध्यक्ष बदलने के बाद हालात यह है कि बेचारे भाजपाध्यक्ष अरुण साव अपने कार्यकाल का 3 महिना भी पूरा नहीं कर पाये उनके भी बदलने की खबरें आनी लगी है। यह भाजपा के छत्तीसगढ़ में बदहाल स्थिति को बताने के लिये पर्याप्त है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद लगातार जनता का भरोसा खोती जा रही है। चार उपचुनाव नगरीय निकाय के दो चरण, पंचायत चुनाव में जनता ने भाजपा को नकार दिया।
भाजपा ने हर चुनाव में हार के बाद बदलाव किया। चार प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और चार प्रभारी तथा दो बार प्रदेश कार्यकारणी बदला गया। भाजपा को अपने ही कार्यकर्ताओं और नेताओं की क्षमता पर भरोसा नहीं रहा, वह किसी को भी जिम्मेदारी देने के बाद उन पर भरोसा नहीं जता पा रही है। भाजपा सोचती है वह नेताओं के चेहरो को बदलकर अपने 15 सालो के पापों से जनता का ध्यान हटा लेगी तो वह मुगालते में है।