वीरभद्र सिंह के नाम पर चुनाव जीती कांग्रेस’ प्रतिभा सिंह के बयान से हिमाचल में बढ़ी हलचल
(शशि कोन्हेर) : हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद अब मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. फिलहाल कांग्रेस ने किसी का नाम तय नहीं किया है, लेकिन पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के बयानों ने राज्य में सियासी हलचल बढ़ा दी है.
प्रतिभा सिंह ने गुरुवार शाम कहा, ‘विधायक अपना नेता चुनेंगे और अपनी राय पार्टी आलाकमान को बताएंगे. मैं यह नहीं कह रही की मैं मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हूं, लेकिन यह चुनाव वीरभद्र सिंह के नाम पर जीता गया है. क्या आप उनके परिवार की विरासत को नजरअंदाज कर सकते हैं.’ बता दें कि कांग्रेस विधायकों की शुक्रवार को शिमला में बैठक होनी है. कांग्रेस के पर्यवेक्षक भूपेंद्र हुड्डा और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री का चेहरा तय करने के लिए शिमला जा रहे हैं.
वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह साल 1998 में सक्रिय राजनीति में आई थीं. उन्होंने मंडी संसदीय क्षेत्र से पहला चुनाव लड़ा था. इसमें बीजेपी के महेश्वर सिंह एवं उनके समधी ने उन्हें करीब सवा लाख मतों से हराया था. महेश्वर सिंह उनके समधी हैं
जयराम को भी हरा चुकी हैं प्रतिभा
इसके बाद साल 2004 के लोकसभा चुनाव में दूसरी बार प्रतिभा ने किस्मत आजमाई थी. इसमें समधी महेश्वर से पुरानी हार का बदला लिया और संसद पहुंची थीं. वहीं, साल 2012 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद वीरभद्र सिंह ने लोकसभा से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद 2013 में उपचुनाव हुआ. इसमें प्रतिभा सियासी रण में उतरीं. इस चुनाव में उन्होंने जयराम ठाकुर को भारी मतों से हराया था.
6 महीने पहले ही मिली थी कमान
हालांकि, साल 2014 में मोदी लहर में प्रतिभा को हार का सामना करना पड़ा था. उन्हें बीजेपी के रामस्वरूप शर्मा ने 39 हजार से अधिक वोटों से हराया था. वहीं, 26 अप्रैल 2022 को कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी. छह महीने की इस जिम्मेदारी में प्रतिभा ने अपनी सियासी प्रतिभा का लोह मनवा दिया. इसके साथ ही उन्होंने जनता की चाहत और वीरभद्र परिवार के नेतृत्व की बात करके अपनी इच्छा भी जाहिर कर दी है.
हर 5 साल में बदल जाती है सरकार
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं. सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 35 सीटों की जरूरत होती है. कांग्रेस ने यहां 40 सीटों पर जीत दर्ज की है. यानी कांग्रेस की सरकार बनना तय है. इस चुनाव में बीजेपी के खाते में 25 तो अन्य के हिस्से में तीन सीटें आई हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई. इस चुनाव में 412 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर थी. हर 5 साल में सरकार बदलने वाले इस राज्य में इस बार भी ट्रेंड रिपीट हुआ है.
किसी पार्टी को दोबारा नहीं मिला मौका
साल 1985 से ही कोई भी पार्टी इस राज्य में लगातार 10 साल तक सत्ता में नहीं रही है. इसे देखते हुए साल 2022 के विधानसभा चुनाव कैंपेन के दौरान बीजेपी ने ‘राज नहीं, रिवाज बदलेंगे’ का नारा दिया था. यानी इस बार सरकार नहीं, बल्कि सरकार बदलने की पुरानी परंपरा बदलने पर जोर दिया. लेकिन जनता ने बीजेपी के इसे नारे को स्वीकार न करते हुए ट्रेंड को बरकरार रखा.