बहुत ही गंभीर मामला माना जाता
है…पुलिस हवालात में मौत..! एकाध बार पूरा का पूरा थाना हो चुका है सस्पेंड.. सुप्रीम कोर्ट भी ऐसे मामलों पर सख्त
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। आज बिलासपुर के तारबाहर थाने में पुलिस हिरासत में हुई मौत को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। परिस्थितिजन्य हालात इसे पुलिस हिरासत में मौत का गंभीर मामला बता रहे हैं। जबकि पुलिस ने अधिकृत रूप से जानकारी दी है कि तार बहार थाने की हवालात में बंद ठगी के आरोपी 50 वर्षीय मुंगेली निवासी श्याम मोदी कर की ब्रेन हेमरेज से मौत हुई है। हवालात में मौत के मामले में हमेशा ही पुलिस मौत हवालात के बाहर होने और डॉक्टरों द्वारा किए गए पोस्टमार्टम का हवाला देते हुए मामले की लीपापोती ही करती दिखाई देती है। लेकिन देश में ऐसे बहुत से उदाहरण मिलेंगे।
मध्य प्रदेश के दौर में भी ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिले हैं। जब हिरासत में संदिग्ध मौत का मामला आते ही संबंधित पुलिस अधिकारी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए जाते हैं। मामला साफ है कि जब हवालात में मौत जैसे इतने बड़े गंभीर मामले में कोई भी जांच तब तक निष्पक्ष नहीं कही जा सकती जब तक इसके संदिग्ध आरोपियों को तत्काल थाने से हटाया नहीं जाता अथवा उन्हें निलंबित नहीं किया जाता। सुप्रीम कोर्ट भी हवालात की में मौत को लेकर काफी सख्त है। यहां पुलिस के इस दावे को सीधे-सीधे शायद ही कोई नहीं मानेगा की हवालात में मरने वाले श्याम मोहदीकर की मौत चक्कर खाकर गिरने के कारण हुए ब्रेन हेमरेज से हुई हो। बहरहाल मामला जो भी हो इतनी बड़ी घटना को जिस तरह हल्के से लिया जा रहा है उसे कतई किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता।
मामला हवालात में मौत का है। कायदे से इस मामले में उच्चाधिकारियों को सख्त निर्णय लेकर ऐसी कार्रवाई करनी चाहिए जो न्याय के पक्ष में दिखाई दे। लेकिन इस घटना को लगभग 12 घंटे होने के बाद भी पुलिस के उच्चाधिकारी इस मामले में तार बाहर थाने में पदस्थ अधिकारियों और उनके मातहत काम करने वालों की बातों को ही जिस तरह 100 फ़ीसदी सही मानकर चल रहे हैं। उसे कतई उचित नहीं कहा जा सकता। उम्मीद करेंगे कि इसमें पुलिस प्रशासन ऐसे मामलों में पूर्व में की गई कार्रवाइयों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत तत्काल कार्रवाई करेगा। जिससे सभी को लगे कि “हां” पुलिस भी हिरासत में मौत के इस मामले में न्याय चाहती है और इसके लिए निष्पक्ष कदम उठा रही है।