संदर्भ – बिलासपुर महतारी हुंकार रैली…भाजपा के बदले नये निजाम.. पुरानों मठाधीशों के आगे, आखिर इस थुन पर क्यों नाच रहे हैं..ये का तैं मोला मोहनी मार दिये गेंदा फूल..!
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – किस्सा कुछ ऐसा हुआ….भारतीय जनता पार्टी के एक ग्रामीण नेता से मैंने पूछा… प्रदेश में हाल ही में संगठन में हुए परिवर्तन के बाद पार्टी का क्या हाल है.. कुछ बदलाव नजर आया। या फिर मामला, वही ढाक के तीन पात है। मेरी बात सुनकर वह कार्यकर्ता अपना गमछा पैरों पर लपेट कर यह गाना गाते हुए नाचने लगा… ये कां तैं मोला “मोहनी” मार दिये गेंदा फूल… ये कां तै मोला मोहनी मार दिये ना … गाना गाने में बिधुन उस कार्यकर्ता को रोककर मैंने उससे पूछा..इसका क्या मतलब है..,? वह कार्यकर्ता मुझ पर ही व्यंग करने लगा…और यह कह कर बोलने लगा…जब बात करते हो भाजपा में आने वाले बदलाव की। और बिलासपुर सहित सभी जिले के भाजपाईयों में एकाएक मशहूर हुए इस प्रसिद्ध लोकगीत के बारे में नहीं जानते हो। तो आपको कोई कुछ नहीं समझा सकता।
छत्तीसगढ़ में मोहिनी मंत्र का क्या उपयोग होता है। इसे सभी जानते हैं। उसने बताया कि “मोहनी” के मारने से सामने वाला हर कोई पूरी तरह वश में आ जाता है..और बदलाव की नैया रोकने के लिए बड़े नेताओं ने इसी मोहनी रामबाण का जमकर उपयोग कर लिया है। जिसके कारण बदलाव का झंडा लेकर आए नये निजाम भी पुराने मठाधीशों के वश में होते दिखाई दे रहे हैं। भैया इस लोकगीत में जो कुछ कहा गया है।। वही नजारे अब छत्तीसगढ़ भाजपा में बदलाव के सपने देखने वाले लोगों को देखने पड रहे हैं। मैंने उसको और कुरेदा.. तब उसने बताया पार्टी के संगठन में परिवर्तन आने के बाद जमीनी कार्यकर्ताओं में बदलाव की जो हिमालय उम्मीदें जगी थीं। वह पिघल का जमीन में बहने लगी है।
बदलाव की भैंस पानी में जाकर डूब कर मर गई। मतलब समाप्त हो गई। भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं को लगता है कि सरकार के 15 साल में जिन जिन लोगों ने भाजपा कार्यकर्ताओं का अपमान किया। पार्टी का भट्ठा बैठाला। मलाई रबड़ी काटी…भाजपा को सत्ता के शिखर से जमीन पर लाकर पटक दिया। इन सभी आरोपों के लिए जो लोग जिम्मेदार रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ता जिन्हें कसूरवार नंबर 1 मानता है। ऐसे तमाम जिला स्तरीय नेता और उनके खासमखास अभी भी भाजपा में गद्दीनशीन हुए बैठे हैं। उनके तख्तेताऊस अभी भी पूरी मजबूती से अपनी जगह जमे हुए हैं। पार्टी में जमीनी स्तर पर चर्चा है कि कई बड़े खटराग नेताओं को भी बदलाव के बाद उन पर गाज गिरने की आशंका हो गई थी।
इसलिए सब के सब एकसाथ मिलकर मथुरा गये। और वहां से थोक में मोहनी (मंत्र ) लेकर आ गए। इस “मोहनी” को लाने के बाद नये नये बने निजाम पर मंत्र तंत्र के साथ यही मोहनी मार दी गई। अब मोहनी का असर देखिए कि बदलाव करने की बात और बदलाव करने के लिए आए नए निजाम भूल गए कि उन्हें क्या करना है..? और वो अब उन्हीं मठाधीशो के सामने इसी गाने की धुन पर नाच रहे हैं कि…ये का तै मोला मोहनी मार दिये गेंदा फूल..ये का तै मोला मोहनी मार दिये ओ.. अब अगर भाजपा में बदलाव के लिए आए नए निजाम को किसी तरह इस मोहनी के असर से बचाया जा सकेगा तभी, भाजपा में नीचे जमीनी स्तर पर बदलाव की गंगा जमुना बहती हुई नजर आ सकती है। वरना 15 साल की सरकार को जमींदोज करने के तमाम आरोपी एक बार फिर एक साथ लाईन से खड़े होकर गंगा मैया में डुबकी लगाकर अपने चेहरे पर लगा “भाजपा विनाश का दाग” धोते दिख सकते हैं।