बेटी सुप्रिया सुले का कद बढ़ा, शरद पवार ने भतीजे अजित के पर कतरे; NCP में बदलाव के क्या मायने
(शशि कोन्हेर) : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के भीतर राजनीतिक हलचल एक बार फिर से तेज हो गई है। एनसीपी चीफ शरद पवार ने ऐसा कदम उठाया है जिसकी छाप लंबे समय तक बनी रह सकती है। पवार ने शनिवार को सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर दिया। माना जा रहा है कि इस फैसले से शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार को बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है।
यह इसलिए भी बेहद अहम हो जाता है कि बीते दिनों अजित कई बार अपनी बदली चाल दिखा चुके हैं। ऐसे में राकांपा अध्यक्ष के फैसले को बड़े पॉलिटिकल कैनवस पर देखा जा रहा है। नजर इस बात पर जा टिकी है कि शरद पवार के इस फैसले के बाद अजित पवार और उनके सर्मथकों का रुख क्या होगा।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि एनसीपी चीफ का यह फैसला बेटी सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री दिलाने की कोशिश है। पार्टी लाइन में यह पहले ही साफ हो चुका था कि अजित पवार का दायरा महाराष्ट्र की राजनीति तक ही सीमित रहेगा। बीते काफी समय से अजित को इस भूमिका में देखा भी गया है।
अब सुले और पटेल के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद अजित के सीमित राजनीतिक दायरे पर मुहर लगती दिख रही है। ऐसी स्थिति में इस बात का भी खतरा है कि अजित पवार का खेमा पार्टी आलाकमान से नाराज हो सकता है। मगर, यह भी देखने वाली बात होगी कि यह नाराजगी किस हद तक आगे बढ़ती है। हालांकि, फिलहाल अजित पवार की नाराजगी सामने नहीं आई है।
क्या यह महज काम का बंटवारा भर?
एनसीपी जनरल सेक्रेटरी सुनील तटकरे ने कहा कि अजित दादा ने हमेशा संगठन के लिए काम किया है। उन्होंने बीते 24 वर्षों से पार्टी को मजबूत करने में योगदान दिया है। पार्टी के काम और जिम्मेदारियां निभाने के लिए किसी पद की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने कहा कि अजित पवार परेशान नहीं हैं, वह महाराष्ट्र में काम करना चाहते हैं और कर भी रहे हैं।
इस मामले पर एनसीपी नेता छगन भुजबल की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि कार्यकारी अध्यक्ष के ऐलान के साथ ही चुनाव का काम और लोकसभा-राज्यसभा का काम बांट दिया जाएगा। चुनाव नजदीक आता देख उनके कंधों पर ज्यादा जिम्मेदारी दी गई है। 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह अहम ऐलान है।
शरद पवार के उत्तराधिकारी पर भी सवाल
NCP में शरद पवार का उत्तराधिकारी कौन होगा? यह सवाल लंबे समय से उठाया जाता रहा है। इसके जवाब में अजित पवार को गद्दी मिलने के कयास लगते थे। हालांकि, अजित के बगावती तेवर ने कई बार इस पर प्रश्नचिह्न भी खड़े कर दिए। माना जा रहा था कि महाराष्ट्र की जिम्मेदारी एनसीपी के भीतर अजित पवार के कंधे पर है। अगर कल को सीएम बनने का मौका मिला तो अजित पवार का नाम सबसे आगे होगा। मगर, शरद पवार ने 2 कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर बड़ा राजनीतिक खेल कर दिया है। बहस अब अजित पवार की तरफ से मोड़ दी गई है और इस मामले में उन्हें करीने से किनारे लगाने का प्रयास दिखता है।
2 कार्यकारी अध्यक्ष के पीछे का मकसद जानें
यहां सवाल खड़ा होता है कि अजित पवार को शरद पवार अपना उत्तराधिकारी नहीं चुन रहे हैं तो आगे का उनका प्लान क्या है? क्या शरद की जगह सुप्रिया सुले ले सकती हैं? अगर हां तो फिर उन्होंने 2 कार्यकारी अध्यक्ष क्यों चुने? दरअसल, बीते दिनों शरद पवार ने जो इस्तीफे वाला दाव चला उससे कई चीजें साफ हो गईं। इस दौरान यह सुझाव दिया गया कि एनसीपी में कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की जरूरत है। आने वाले दिनों में कई अहम चुनाव होने हैं। ऐसे में शरद के पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने से बड़ा नुकसान हो सकता है। साथ ही एनसीपी के भीतर 2 वैचारिक खेमे भी बन चुके हैं। कहा जाता है कि एक खेमा भाजपा के तो दूसरा कांग्रेस और शिवसेना के साथ जाने की बात करता है। माना जा रहा है कि इसे देखते हुए ही शरद ने दोनों खेमों पर कार्यकारी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है