राज्य सरकार के आदेश को काला कानून बताकर, नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मंत्री के नेतृत्व में भाजपा का जेल भरो आंदोलन…..
(इरशाद अली संपादक लोकस्वर टीवी): बिलासपुर : विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है। भाजपा के केंद्रीय संगठन के निर्देश पर गैर भाजपाई राज्यों में आंदोलनों की रूप रेखा तैयार होने लगी है। छ ग में भी छोटे छोटे मुद्दों पर बड़े बड़े आंदोलन की तैयारी हो चुकी है। आंदोलन की पूर्व अनुमति के शासन के आदेश ने भाजपाइयों को सरकार के खिलाफ आंदोलन का अवसर दे दिया जिसे भुनाने के लिए सोमवार को भाजपा ने जेल भरो आंदोलन किया।
राज्य सरकार ने सार्वजनिक,धार्मिक,राजनैतिक,धरना, जुलूस, रैली, प्रदर्शन, भूख हड़ताल जैसे आयोजन करने के लिए 19 शर्तो के साथ 15 बिन्दु का आवेदन पत्र का प्रारूप शपथ पत्र के साथ जमा करने का आदेश 22.04.2022 को जारी किया है। भाजपा ने सरकार के इस आदेश को काला कानून बताकर विरोध करने का निर्णय लिया। 1 मई को प्रदेश भर में भाजपाइयों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया कि 15 मई तक अगर यह आदेश वापस नही लिया गया तो वे राज्य स्तर पर 16 मई को प्रदर्शन करेंगे। भाजपाइयों की चेतावनी का असर सरकार पर नही हुआ और 15 दिनों की तैयारी के साथ भाजपाइयों ने जिला मुख्यालयों में सोमवार को प्रदर्शन किया।
बिलासपुर के नेहरू चौक में भी नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया। जिले के विधायक, संगठन के तमाम पदाधिकारियों के अलावा कार्यकर्ताओं की फौज यहां इकट्ठा हो गई। सभा करके नेताओं ने राज्य सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया। यहां सभी ने सरकार के आदेश की प्रतियां फाड़ी और ज्ञापन देने कलेक्टर कार्यालय की तरफ कूच किया मगर पेट्रोल पंप के आगे ही घेराबंदी करके पुलिस ने उन्हें रोक लिया गया। इस दौरान गुस्साए कार्यकर्ता पुलिस से झूमाझटकी करते हुए आगे बढ़ने का प्रयास करते रहे मगर पुलिस और प्रशासन की सख्ती के आगे वे कामयाब नही हो सके। थकहार कर सभी जेल भरो आंदोलन के तहत पुलिस को सांकेतिक रूप से गिरफ्तारी दी।साथ ही संदेश दिया कि वे राज्य सरकार के उस आदेश को नही मानेंगे जिसमे आंदोलनों के लिए पूर्व अनुमति लेना पड़े।
कलेक्टर कार्यालय की तरफ बढ़ने का प्रयास करते कार्यकर्ताओं को पुलिस की सख्ती का जमकर सामना करना पड़ा। कई बार तो पुलिस ने लाठी भी भांजने की कोशिश की। यहां मौजूद भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं में भी विरोध का ज्वाला देखा गया।
कुछ देर संघर्ष करने के बाद पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद पुलिस अधिकारियों के समक्ष सांकेतिक गिरफ्तारी देकर वापस लौट गए।