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चुनौतियों के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन, विकास दर में तेजी आई..

तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश ने आर्थिक मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं बेराजगारी दर में गिरावट आई है। कोरोना महामारी के बाद से जीडीपी 20 प्रतिशत अधिक हो गई है। लगातार तीसरे साल आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सात फीसदी के पार रही। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी दर 6.5 से 7 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया गया है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है और वैश्विक स्तर पर चुनौतियों के बीच बेहतर प्रदर्शन कर रही है। पिछले वित्त वर्ष में वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही थी। मौजूदा वित्त वर्ष में सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल की जा सकती है लेकिन यह इस बात पर निर्भर है कि मानसूनी बारिश कैसी होती है।

इस वर्ष के लिए अनुमान जताते समय सतर्कता बरती गई है और वृद्धि दर बाजार की अपेक्षाओं से कम है। इस सतर्क रुख का कारण निजी क्षेत्र के निवेश की गति धीमी होना और असामान्य मौसम है।

1. अर्थव्यवस्था में गतिविधियां तेज, निजी पूंजीगत व्यय में तेजी आई

2. भारत में विदेशों से लिया गया कर्ज अनुपात काफी कम है।

3. महंगाई नियंत्रण में हैं और यह चार प्रतिशत के नीचे

4. माल तथा सेवा निर्यात में भी आगे वृद्धि होने की संभावना

5. मुक्त व्यापार समझौतों से देश का व्यापार घाटा कम होने की उम्मीद

1. युवा बेराजगारी दर पांच वर्ष में 17.8 से घटकर 10 पर आई।

2. घरेलू शेयर बाजारों में तेजी से भी निवेशक आकर्षित हुआ

3. पूंजी बाजार से बीते वर्ष 10.9 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए

4. सेवा क्षेत्र का निर्यात 4.9 प्रतिशत बढ़कर 341.1 अरब डॉलर हुआ

5. व्यापार घाटा 265 अरब डॉलर से घटकर 240 अरब डॉलर हुआ


आर्थिक समीक्षा में मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों में विकास के दम पर भारत से निर्यात बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही सेवा क्षेत्र से जुड़े निर्यात में भी तेजी देखने को मिल सकती है।

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