छत्तीसगढ़

जिला “मुस्लिम विकास मंच” ने राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन..

(सुहैल आलम ) : गौरेला पेंड्रा मरवाही: पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में गुस्ताखी करने वाले महंत रामगिरी महाराज की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सोमवार 02 सितंबर को “मुस्लिम विकास मंच” जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है।


कलेक्टर के माध्यम से सौंपे गए इस ज्ञापन में कहा गया है कि 14 अगस्त – 2024 को महाराष्ट्र के नासिक जिले की सिन्नर तहसील के पंचाले गांव में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में प्रवचन के लिए आए सरला द्वीप के महंत “रामगिरी महाराज” (असली नाम सुरेश रामकृष्ण राणे) द्वारा पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के खिलाफ़ की गई विवादित एवं आपत्तिजनक टिप्पणी से पूरा मुस्लिम समाज आहत और आक्रोशित है।

इसे लेकर वह देश भर में लोकतांत्रिक ढंग से अपना विरोध दर्ज कराते हुए महंत रामगिरी महाराज की गिरफ़्तारी की लगातार मांग कर रहा है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार से संरक्षण प्राप्त महंत रामगिरी महाराज को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

जिससे मुसलमानों में खासा गुस्सा है। एक तरफ मुफ्ती सलमान अजहरी को सिर्फ मुहावरायुक्त बयान देने पर तुरंत गिरफ्तार कर अनिश्चितकाल के लिए जेल में डाल दिया जाता है। जबकि महंत रामगिरी महाराज को पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के खिलाफ विवादित और आपत्तिजनक बयान देने के बाद भी आजाद घूमने दिया जाता है। आख़िर कानून का यह दोहरा मापदंड क्यों ? क्या यही है भारत का नया कानून ?


ज्ञापन में बताया गया है कि मुसलमान अपना निजी अपमान और नुकसान तो सहन कर सकता है। लेकिन अपने नबी की “शान” और “अजमत” के खिलाफ गुस्ताखी को कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता। क्योंकि मुसलमान का मुक्कमल ईमान ही अपनी जान से भी ज्यादा बढ़कर अपने “नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम” की “मोहब्बत है।


लेकिन बीते कुछ सालों से देश में सांप्रदायिक शक्तियां बेखौफ होकर नफ़रत फैला रही हैं। आपसी भाईचारा एवं सौहार्द को खराब किया जा रहा है। मुसलमानों के बहिष्कार का खुलेआम आह्वान किया जा रहा है। “अनेकता में एकता” के सूत्र वाक्य को तार-तार करने की कोशिश की जा रही है।

मुसलमानों के खिलाफ खुलेआम भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं। मीडिया में खुलेआम नफरती एजेंडा चलाया जा रहा है। मुसलमानों की सरेआम मॉब लिंचिंग हो रही है। भरी संसद में मुसलमान सांसद पर जातिगत टिप्पणी कर अपमानित किया जाता है। लेकिन लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। मुसलमानों के घरों को बुलडोजर से ढहाया जा रहा है।

एनकाउंटर न्याय बताकर मुसलमान आरोपियों को मारा जा रहा है। मस्जिद, मदरसे, मजार एवं वक्फ संपत्तियों के खिलाफ़ मुख्यमंत्री नफ़रत का जहर घोल रहे हैं। न्याय पालिका खामोश है। विधायिका ही न्याय पालिका बन चुकी है। धार्मिक आस्थाओं एवं भावनाओं को आहत किया जा रहा है। विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री एवं राजनीतिक दल इन सारी घटनाओं के खिलाफ बोलने एवं इसे रोकने की बजाए इसको और बढ़ावा दे रहे हैं।


ये तो भला है उस बहुसंख्यक आबादी का जिनके आपसी प्रेम एवं भाईचारे के विश्वास ने देश के सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूती से कायम रखा हुआ है। लेकिन महत्वपूर्ण सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों में काबिज हो चुके इन मुट्ठी भर नफरतियों से इसको खतरा लगातार बना हुआ है।


ज्ञापन में मांग की गई है कि अगर कानून “निष्पक्ष” और जिंदा है तो फिर “पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम” की “शान” में गुस्ताखी करने वाले महंत रामगिरि महाराज को तत्काल गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जाए।

इसके अलावा सांप्रदायिक एवं धार्मिक उन्माद फैलाने वाले ”नफरतबाजों” पर भी कानूनी शिकंजा कसा जाए। ताकि हमारे भारत की ”धर्मनिरपेक्षता”और ”संविधान” की ”सार्थकता एवं विश्वसनीयता” दोनों कायम रह सके।
ज्ञापन सौंपने वालों में “मुस्लिम विकास मंच” जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के अध्यक्ष असद सिद्दीकी, संयोजक रियाज कुरैशी, हाफिज मो. इरशाद खान, कारी मोहम्मद यूसुफ, रफीक राईन, हाजी जुबैर नियाजी, सचिव मोहम्मद इलियास, परवेज अहमद, कय्यूम अंसारी, सलीम कुरैशी, गुलाम गौस, मुस्तकीम खान, अफसर खान, अनीश अंसारी, नवाब खत्री, शाहिद टीकर, शमशाद अली, नफीस अंसारी, वसीम खान, फारुख कैसर, नफीस कुरैशी आदि लोग शामिल थे।

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