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क्या आप जानते हैं कि देश के विधायकों, सांसदों और  “माननीयों” पर कितने केस हैं दर्ज..?  कब होगी इनकी सुनवाई..?

(शशि कोन्हेर) : देशभर में चार दर्जन माननीयों यानी 48 सांसदों-विधायकों के विरुद्ध सीबीआइ के केस लंबित हैं। इतना ही नहीं, कुल 247 वर्तमान और पूर्व सांसद-विधायक हैं, जिनके विरुद्ध केंद्रीय एजेंसियों ईडी, सीबीआइ और एनआइए के केस लंबित हैं। यह बात विभिन्न एजेंसियों द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर तैयार न्यायमित्र की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट से उजागर हुई है।

पूर्व सांसदों-विधायकों के विरुद्ध इतने केस हैं लंबित
इतना ही नहीं रिपोर्ट में देशभर की अदालतों में वर्तमान और पूर्व सांसदों-विधायकों के विरुद्ध लंबित कुल आपराधिक मामलों का जो आंकड़ा दिया गया है, उसके मुताबिक वर्तमान और पूर्व सांसदों-विधायकों के विरुद्ध कुल 3,069 आपराधिक केस लंबित हैं। ये ताजा आंकड़े हैं, लेकिन दिसंबर, 2021 के आंकड़े देखें तो देशभर में वर्तमान और पूर्व सांसदों-विधायकों के विरुद्ध कुल 4,984 आपराधिक मामले लंबित थे।

16 हाई कोर्ट की रिपोर्ट पर आधारित हैं आंकड़े
ताजा आंकड़े 25 में से सिर्फ 16 हाई कोर्टों से आई रिपोर्ट पर आधारित हैं। देश में कुल 25 हाई कोर्ट हैं, जिनमें से नौ ने अभी तक उनके राज्यों में माननीयों के विरुद्ध लंबित कुल मुकदमों की रिपोर्ट नहीं दी है। रिपोर्ट नहीं देने वालों में उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों के हाई कोर्ट भी शामिल हैं।

आज होगी मामले में सुनवाई
यह रिपोर्ट वर्तमान और पूर्व सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की निगरानी के केस में न्यायमित्र वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने देशभर के हाई कोर्टों और केंद्रीय एजेंसियों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तैयार करके सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दाखिल की। कोर्ट इस मामले में मंगलवार को सुनवाई करेगा। भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में 2016 से लंबित है, जिसमें वर्तमान और पूर्व सांसदों-विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों के जल्द निपटारे की मांग की गई है।

कोर्ट समय-समय पर हाई कोर्ट से मांगता है ब्योरा
मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। कोर्ट समय-समय पर हाई कोर्टों और केंद्रीय जांच एजेंसी को ऐसे कुल लंबित मामलों का ब्योरा देने का आदेश देता है। पिछले आदेश पर दिए गए ब्योरे के आधार पर न्यायमित्र ने प्राप्त आंकड़ों के आधार पर अपनी 17वीं रिपोर्ट दाखिल की। रिपोर्ट में न्यायमित्र ने ऐसे मामलों के त्वरित निपटारे के लिए कुछ सुझाव दिए हैं और कोर्ट से आदेश देने का अनुरोध किया है।

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