छत्तीसगढ़

प्रतिबंध के बाद भी पेंट्रीकार में बन रहा भोजन, अन्य कम्पनियों के पानी बोलत की हो रही बिक्री..

(भूपेंद्र सिंह राठौर के साथ राजा खान) :  ट्रेनों की पेंट्रीकार का भोजन व नास्ता कर यात्री बीमार हो सकते हैं। किसी भी ट्रेन की पेंट्रीकार में सफाई नजर नहीं आती। शनिवार को हावडा से अहमदाबाद जाने वाली अहमदाबाद एक्सप्रेस में यही स्थिति थी।

पेंट्रीकार में प्रतिबंध के बाद भी कर्मचारी खाना पका रहे थे। इसके अलावा अन्य कम्पनी की पानी बोतल की बिक्री, अंडा, पनीर, दाल व सब्जी सभी खानपान की चीजें खुले में रखी हुई पाई गई।

ट्रेनों की पेंट्रीकार में सुरक्षा व सावधानी के साथ- साथ स्वच्छता बेहद जरूरी है। वैसे तो पेंट्रीकार की कमान आइआरसीटीसी के पास होती है। लेकिन, जांच की जवाबदारी रेल प्रशासन की भी है। यही वजह है लाइसेंस देने से पहले से स्पष्ट तौर पर इसे लेकर निर्देश दिया जाता है। हालांकि जब ट्रेन चलती है तो उसमें सबसे पहले सफाई की ही अनदेखी की जाती है।

हावडा अहमदाबाद एक्सप्रेस की पेंट्रीकार का हाल भी कुछ इसी तरह था। इस ट्रेन में खानें- पीने चीजें खुले में रखी हुई पाई गई।इसी स्थिति में ट्रेन करीब 10 मिनट तक जोनल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर खड़ी रही। इस दौरान जांच तो दूर किसी भी रेलवे अधिकारी या कर्मचारियों ने पेंट्रीकार के अंदर झाककर तक नहीं देखा। इस ट्रेन के पेंट्रीकार में रेल नीर की जगह अन्य कम्पनी की पानी बोतल बेची जा रही थी, जिसे पेंट्रीकार में छुपा कर रखा गया था।

इसके साथ ही प्रतिबंध के बावजूद यहां बड़े बड़े गंजो में खाना भी पकाया जा रहा था। जबकि इस ट्रेन में केवल खानों को गर्म करने का आदेश है। इसके अलावा अंडे को छीलकर  कैरेट में रखा गया था, जिसमें गंदगी की मोटी परत जमी हुई थी। चावल, सब्जी समेत अन्य समानों को खुले में रखा गया था।

इसकी जानकारी आईआरसीटीसी के अधिकारियों को भी दी गई,इसके बाद भी इस ट्रेन के पेंट्रीकार में कोई झांकने तक नही आया। जांच नहीं होने की वजह से कर्मचारी नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते नजर आते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ में तो मक्खी भी भिनभिना रही थी। यह अव्यवस्था रेलवे या आइआरसीटीसी के जिम्मेदार अफसरों को नजर नहीं आती।

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