बिलासपुर

EXCLUSIVE : कैसे तैयार कर रहा अपराधियों की डिजिटल कुंडली….

(आशीष मौर्य) : बिलासपुर – क्रिमिनल्स की गर्दन नापने के लिए NAFIS (नेशनल ऑटोमैटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम) पैर जमा चुका है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के 18 राज्यों में इसे जनवरी 2022 से लागू किया गया है। इसमें घटना के बाद स्पॉट से मिले फिंगर प्रिंट अपलोड किए जाते हैं। जैसे ही, वह अपराधी देश में कहीं भी दूसरी वारदात करता है। वहां उसके फिंगर प्रिंट मैच होते हैं, तो पहला मामला खुद ही ट्रैस हो जाता है। इसकी मदद से केस को सॉल्व करने में मदद मिलेगी।

बाइट :- उमेश कुमार कश्यप (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, शहर )

यह NCRB यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो का प्रोजेक्ट है। इसके जरिए 18 राज्यों की पुलिस टीम को एक-दूसरे के राज्यों के अपराधियों के रिकॉर्ड दिए गए हैं। राज्यों में कितने अपराधी एक्टिव हैं, उनके नाम-पते के अलावा उनके फिंगर प्रिंट NAFIS में अपलोड किए हैं। इसका फायदा यह होता है कि अपराधी इनमें से किसी भी राज्य में अपराध करता है, तो अपराध NAFIS में दर्ज किए जाते हैं। अपराधी का ब्यौरा सिस्टम में दर्ज होता है, तो NAFIS से उसकी पहचान हो जाती है कि अपराधी कौन है, कहां का रहने वाला है।आपराधियों को पकड़ने के बाद पुलिस उनका फिंगर प्रिंट,ऑनलाइन सॉफ्टवेयर मे अपलोड कर रही है.इसमें नेशनल ऑटोमैटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम का डाटा खासा मददगार साबित हो रहा है।सिविल लाइन थाने के बाजु मे संभागीय अंगुल चिन्ह विशेषज्ञ कार्यालय मे रोजाना डाटा की एंट्री चल रही है.

क्रिमिनल अब पुलिस से बच नहीं पाएंगे। अभी तक बदमाश वारदात कर दूसरे राज्यों में भाग जाते हैं। इससे पुलिस को भी दिक्कत होती है । वहां जाकर बदमाश फिर वारदात करते हैं। आरोपी के पकड़े जाने पर ही दूसरी वारदातें खुलती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा.पुलिस के द्वारा नेशनल ऑटोमैटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम मे एक क्लीक करते ही अपराधी की कुंडली निकल आएगी.

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