छत्तीसगढ़बिलासपुर

जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर, पहले ही दिन दिखा उसलापुर में यह नजारा

(भूपेन्द्र सिंह राठौर) :  दुर्ग- जम्मूतवी एक्सप्रेस में मंगलवार को पैर रखने की जगह नहीं दिखी। यह ट्रेन 25 अप्रेल से सीधे दाधापारा होते हुए उसलापुर स्टेशन से रवाना हुई। पहले ही दिन ट्रेन में चढ़ने के लिए यात्रियों को काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ा। इस ट्रेन को श्रमिक वर्ग बाहर कमाने- खाने जाने के लिए ज्यादा पसंद करते हैं।

उसलापुर रेलवे स्टेशन में मंगलवार को बड़ी संख्या में पलायन करने वाले मजदूरों की भीड़ देखने को मिली। जिले के अलग अलग गाँवो से यह मजदूर स्टेशन पहुचे थे। दरअसल जम्मूतवी एक्सप्रेस अब इसी मंगलवार से दुर्ग से छूटकर उसलापुर रेलवे स्टेशन होते हुए जम्मूतवी जाने लगी है। पहले इस ट्रेन का ठहराव बिलासपुर स्ट्रेशन में था।लेकिन यातायात के बढ़ते दबाव को देखते हुए 25 अप्रेल से इस ट्रेन को उसलापुर शिफ्ट कर दिया गया है।

मंगलवार को यह ट्रेन अपने निर्धारित समय पर उसलापुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर दो पर पहुंची। ट्रेन के आते ही इंतज़ार में बैठे श्रमिक ट्रेन में चढ़ने के लिए जद्दोजहद करने लगे। स्लीपर क्लास में तो इतनी ज्यादा भीड़ थी कि यात्रियों को चढ़ने का मौका ही नहीं मिला। लोग आपातकालीन खिड़की के माध्यम से ट्रेन के भीतर जाते दिखाई दिए।बोगी में चढ़ने के लिए धक्का-मुक्की इतनी हुई कि सभी को काफी समस्या हुई।

पूर्व घोषणा के अनुसार 25 अप्रैल से बिलासपुर की बजाय उसलापुर स्टेशन में इसका ठहराव दिया जाने लगा है।रुकने के समय मे कमी होने के चलते कई यात्री इस ट्रेन में नहीं चढ़ पाए। जिसके बाद यात्रियों ने आगे बढ़ती ट्रेन  में चेन पुलिंग कर अपनो को ट्रेन ने सवार कराते नज़र आए। आरपीएफ के जवानों ने भी सहयोग कर यात्रियों को ट्रेन में चढ़ाया। जिसके बाद ट्रेन रवाना हुई।

इस आपाधापी में कई यात्रियों के सामान,चप्पल, चावल की बोरियां समेत अन्य कई चीजें प्लेटफॉर्म और रेलवे ट्रेक पर बिखरे नजर आए। भले ही ट्रेन का स्टॉपेज उसलापुर में दिया गया है लेकिन यात्री मांग कर रहे हैं कि कम से कम इस ट्रेन को उसलापुर स्टेशन में 20 मिनट तक रोका जाए। ताकि यात्री आराम से सवार होकर सुरक्षित सफर कर सकें।इस तरह की आपाधापी अगर आगे भी चलती रही तो कभी भी यहां कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

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