वन मंत्री जी…. क्या आपको पता है कि वन्य प्राणियों के लिए कब्रिस्तान बनता जा रहा है “कानन पेंडारी”..?
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – एक दिन पहले अपने रायपुर के अपने शासकीय निवास से प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कानन पेंडारी के शावकों का नामकरण किया। उस समय उनके चेहरे की प्रसन्नता यह बता रही थी कि उन्हें कानन पेंडारी में लगातार हो रही वन्य प्राणियों की मौत और अचानकमार टाइगर रिजर्व में वन विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार की या तो कोई जानकारी नहीं है। यह शर्मनाक है कि बीते 1 साल में कानन पेंडारी में अलग-अलग कारणों से 25 से अधिक वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। कोई और प्रदेश होता तो मात्र 1-2 वन्य प्राणियों की मौत होते ही वहां तैनात अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिर जाती।
लेकिन यह छत्तीसगढ़ और विशेष रूप से अचानकमार टाइगर रिजर्व और कानन पेंडारी का दुर्भाग्य है कि यहां अधिकारियों के 100 भ्रष्टाचार और उतनी ही लापरवाहियां माफ है। यहां पूरा मामला वन विभाग के नाकारा अधिकारियों के हवाले कर दिया जाता है जो उसके लिए जिम्मेदार रहते हैं। यह तो कातिल को ही काजी बनाने जैसा है। यह नंगी सच्चाई है कि कानन पेंडारी में 1 साल के दौरान तीन बायसन, एक बाघिन, तीन दरियाई घोड़े, तीन भालू और ना मालूम कितने ही वन्य प्राणियों की मौत हो चुकी है। लेकिन शर्मनाक ढंग से वन विभाग ने इसके लिए किसी भी बड़े अधिकारी से लेकर छोटे अधिकारी तक को जिम्मेदार नहीं माना।
इन मौतों के लिए वन्य प्राणियों को हुई उन्हीं बीमारियों को जिम्मेदार ठहरा दिया गया जो बिना इलाज और देखरेख के कारण जानलेवा बन गई थी़। अफसोस है कि कानन पेंडारी और अचानकमार टाइगर रिजर्व के बारे में अधिकारियों ने जो कहा शायद उसे ही वन मंत्री ने सच मानते रहे हैं। कानन पेंडारी और अचानकमार टाइगर रिजर्व को आज का दर्जा दिलाने में बीते चार-पांच दशकों से न मालूम कितने अधिकारियों की मेहनत का प्रमुख रोल रहा है। इसके अलावा बिलासपुर के प्रेस जगत और वन्य प्रेमियों की भी इसमें प्रमुख भूमिका रही है। लेकिन अफसोस कि दशर्कों की मेहनत के बाद तैयार हुआ कानन पेंडारी आज वन्य प्राणियों का कब्रिस्तान बनते जा रहा है। यह अच्छी बात है कि इस मिनी जू में वन्य प्राणियों के प्रजनन की दर काफी अच्छी है। लेकिन जिस गति से बीते 1 साल में वन्यजीवों की मौत हो रही है।
वैसा ही अगर हाल आगे भी जारी रहा तो कानन पेंडारी को वन्य प्राणियों के मकबरे के रूप में जाना जाएगा। अपने कार्यालय में बैठे-बैठे 4 शावको का नामकरण करने वाले वन मंत्री से बिलासपुर के वन्य प्रेमियों का यह उम्मीद रखना बेमानी नहीं होगा कि वन मंत्री अपनी आंखों पर अधिकारियों द्वारा दिए गए चश्मे को हटाकर कानन पेंडारी तथा अचानकमार टाइगर रिजर्व में क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए इस पर अपनी खुली आंखों से नजर डालें। और इस पर भी यदि उन्हें यहां की सचाई पता लगाने में कोई तकलीफ हो रही हो। तो वे बीते 1 साल के दौरान बिलासपुर से प्रकाशित होने वाले विभिन्न प्रमुख समाचार पत्रों में कानन पेंडारी में हो रही वन्यजीवों की मौत और अचानकमार टाइगर रिजर्व में चल रहे भ्रष्टाचार की खबरों का अवलोकन मात्र कर लें। तो उन्हें यह पता चल जाएगा कि इन दोनों स्थानों में ऐसा “क्या क्या चल रहा है”…जो कतई *नहीं चलना” चाहिए