बिलासपुर

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और उत्कृष्ट विधायक धर्मजीत सिंह फिर साथ-साथ… ये रिश्ता क्या कहलाता है

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – बिलासपुर – लगातार तीन कार्यकाल तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह और चार बार के विधायक श्री धर्मजीत सिंह बिलासपुर में महाराणा प्रताप जयंती पर एक बार फिर साथ-साथ थे। इसके पहले भी वे बिलासपुर समेत अलग-अलग स्थानों पर कितनी बार अंतरंग ढंग से मिलते मिलाते हैं। इसकी संख्या… ये दोनों भी शायद ही बता पाएं। इन दोनों में जहां लगातार तीन कार्यकाल तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह की छवि एक जेंटलमैन की रही है। वही ठाकुर धर्मजीत सिंह की जांबाजी, नेकदिली और मिलनसारिता का कोई सानी नहीं है। इन दोनों ही महानुभाव के बीच के संबंध कितने पुराने हैं। यह बताना मेरे लिए भी संभव नहीं है। लेकिन एक वाक्य मुझे अच्छे से याद है। जो डॉ रमन सिंह ने खुद बताया था। उनके मुताबिक स्वर्गीय मोतीलाल वोरा को पराजित कर जब पहली बार वे सांसद बने थे। तब एकाएक उन्हें केंद्र में बतौर राज्यमंत्री शामिल करने का निर्णय लिया गया। और उन्हें शपथ ग्रहण का निमंत्रण मिला। डॉ रमन सिंह तब इसलिए हडबडा गये कि उनके पास ऐसा कोई तरीके का ड्रेस नहीं था। जिसे पहन कर वे शपथ ग्रहण के लिए जाते। उस समय धर्मजीत सिंह भी दिल्ली में ही थे।

डॉ रमन सिंह ने उन्हे फोन कर अपनी दुविधा बताई। तब कपड़ों के मामले में नफासत पसंद और सूजी श्री धर्मजीत सिंह तुरंत एक सूट लेकर उनके पास जा पहुंचे। दूसरे दिन डॉ रमन सिंह ने इसी सूट को पहन कर केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। यहां यह बताने का कुल लब्बोलुआब यह है कि बरसों पुराने इनके संबंधों पर एक नया राजनीतिक मूलम्मा चढ़ने की खबर बीते कुछ समय से सभी की जुबां पर है। भाजपा में और इसी तरह कांग्रेस में तथा प्रदेश में यह मानने वाले लोगों की संख्या बहुत बड़ी है..जिनके मुताबिक श्री धर्मजीत सिंह ठाकुर कभी भी सही वक्त, मुहूर्त और माहौल में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। हालांकि अभी तक श्री धर्मजीत सिंह ने इस बाबत खुलकर कभी कुछ भी नहीं कहा है। लेकिन राजनीति में न तो “ना” का कोई मतलब होता है और न “हां” का.. महाराणा प्रताप की जयंती पर इन दोनों पुराने साथियों को एक साथ मंच पर देखने वाले यही सोच रहे थे कि आज जो मंच पर साथ- साथ दिख रहे हैं वे पार्टी में एक मंच पर कब दिखेंगे..! लोगों की नजरों में इसकी सिर्फ औपचारिक घोषणा ही बाकी है। हालांकि इस लिहाज से अभी प्रदेश विधानसभा का चुनाव काफी दूर है। इस बीच अरपा नदी और खुड़िया में बहुत सा पानी बह जाना है। फिर इतने वरिष्ठ और धाकड़ विधायक का भाजपा में जाना कोई..छोटी मोटी घटना नहीं होगी। और शायद इसीलिए विचार विमर्श और चर्चा का एक लंबा दौर चल रहा होगा।

इस बात के पूरे संकेत है कि इसके बाद जांबाज विधायक श्री धर्मजीत सिंह शायद वही कदम उठाएंगे..जिसका हम सब अनुमान लगा रहे हैं। वैसे भी वन मैन आर्मी स्वर्गीय अजीत जोगी की मौत के बाद श्री धर्मजीत सिंह के जोगी कांग्रेस में रहने के कोई मायने नहीं रह जाते। हालांकि यह सब श्री धर्मजीत सिंह को ही तय करना है..हम केवल अनुमान ही लगा सकते हैं.. और महाराणा प्रताप जयंती के दिन डॉ रमन सिंह और धर्मजीत सिंह की तस्वीरें देखने के बाद हम यही सवाल आसमान में उड़ा रहे हैं…ये रिश्ता क्या कहलाता है..! हम जानते हैं कि इस सवाल का जवाब या तो डॉ रमन सिंह दे सकते हैं या फिर धर्मजीत सिंह.. लेकिन हमें यह भी पता है कि ये दोनों अभी इसका कोई जवाब नहीं देंगे। और कब तक हम आप सब दोनों की एक साथ तस्वीरें देखकर अपना अपना अनुमान लगाने के लिए स्वतंत्र हैं।

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