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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का देहावसान…..

(शशि कोन्हेर) : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा केंद्र में रक्षा मंत्री रह चुके समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का देहावसान हो गया। उन्हें कुछ दिनों पूर्व तबीयत खराब होने पर गुरुग्राम के वेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था। यही उन्होंने अंतिम सांस ली। उत्तर प्रदेश में समाजवादी आंदोलन के मजबूत स्तंभ माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वही केंद्र में कुछ महीनों के लिए सत्तारूढ़ देवगौड़ा की सरकार में रक्षा मंत्री के रूप में भी उन्होंने बखूबी काम किया। मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था। अपने युवावस्था में कुश्ती के अच्छे खिलाड़ी रह चुके मुलायम सिंह यादव को सियासी दांवपेच में भी खासी महारत हासिल थी। उनके राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह पहलवानी के उनके दांवपेंच पर फिदा थे।

मुलायम सिंह यादव राजनीति में रामसेवक यादव के प्रमुख शिष्य थे। और उनके ही आशिर्वाद से 1967 में पहली बार विधानसभा के सदस्य और मंत्री बने। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। और राजनीति की एक के बाद एक पायदान तय करते हुए उत्तर प्रदेश की सियासत के मुख्यमंत्री पद तक, एक बार, दो बार नहीं..तीन तीन बार जा पहुंचे। वे उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री और इस देश के एक बार रक्षा मंत्री रह चुके हैं। उनका जन्म सैफई गांव के एक साधारण किसान सुघर सिंह यादव और मूर्ति देवी के घर में जन्म लिया था।

मुलायम सिंह यादव के पिता उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। इसलिए उन्हें चौधरी नत्थू सिंह की शागिर्दी में दिया गया। नत्थू सिंह ने पहले तो मुलायम सिंह को कुश्ती के दांव पर सिखाएं फिर उनसे प्रभावित होकर उन्हें राजनीति के मैदान में उतारने में भी प्रमुख भूमिका अदा की। रतन सिंह, अभय राम, शिवपाल सिंह और राजपाल सिंह उनके भाई और कमला देवी इकलौती बहन थी। कुश्ती के अखाड़े के साथ ही अपने गुरु उस्ताद नत्थू सिंह के परंपरागत विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने राजनीति की पायदान चढ़नी शुरू की। अपने जीवन की शुरुआत में शिक्षक की जिम्मेदारी निभा चुके मुलायम सिंह यादव बीते कई दशकों से उत्तर प्रदेश की राजनीति के केंद्र बिंदु बने रहे। 1912 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को अकेले जबरदस्त बहुमत मिलने पर उन्होंने साथियों से विचार विमर्श कर, अपने पुत्र अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवा दिया।

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