भ्रष्टाचार का खेल – वनरक्षक की परीक्षा में महान अंतर्राष्ट्रीय धावक “उसैन बोल्ट” का रिकॉर्ड तोड़ उससे भी तेज दौड़े दो आवेदक
(शशि कोन्हेर) : कवर्धा। इसे भ्रष्टाचार की दौड़ मानें या फिर छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभाओं का हुनर कि वन रक्षक जैसे साधारण से पद की भर्ती में शामिल कुछ उम्मीदवारों ने वर्ल्ड रिकार्डधारी महान धावक उसैन बोल्ट का रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिया।
यह अजूबा छत्तीसगढ़ के कवर्धा ( कबीरधाम ) जिले में सामने आया है। इस जिले में वन रक्षक पदों पर भर्ती की जा रही है। तृतीय श्रेणी कर्मचारी के इस पद के लिए हजारों युवाओं ने आवेदन किया है। पात्र पाए गए युवाओं के लिए फिजिकल टेस्ट के तहत 200 मीटर दौड़ का आयोजन किया गया था। इस दौड़ का जो रिजल्ट चार्ट वन विभाग द्वारा जारी किया गया है, उसे अगर महान धावक उसैन बोल्ट देख लें, तो शायद वे भी छत्तीसगढ़ के इन धावकों के आगे पानी मांगने मजबूर हो जाएंगे। वन रक्षक पद के लिए दौड़ में शामिल आवेदकों ने 200 मीटर की दूरी वास्तव में कितने समय में पूरी की यह अलग बात है, लेकिन वन विभाग के रिजल्ट चार्ट के मुताबिक दो आवेदक युवाओं ने दो सौ मीटर दौड़ को पूरा करने में महज 14.7 सेकंड और 19. 6 सेकंड का समय लिया। जबकि विश्व प्रसिद्ध महान धावक उसैन बोल्ट का 200 मीटर दौड़ में विश्व रिकॉर्ड 19. 19 सेकंड और ओलिंपिक रिकॉर्ड 19.4 सेकंड का है। इस तरह देखा जाए तो छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवाओं ने उसैन बोल्ट को भी मात दे दी है। जानकारों का कहना है कि इसके पीछे कहानी कुछ और है।
फिजिकल टेस्ट में ही होता है असली खेल
जानकार कहते हैं कि सरकारी भर्तियों में दलाली की दुकान खोले बैठे अधिकारियों द्वारा आवेदकों की शैक्षणिक योग्यता और शारीरिक माप से से छेड़छाड़ तो नहीं की जा सकती, मगर फिजिकल टेस्ट में वे जरूर अपना खेल कर जाते हैं। खासकर फिजिकल टेस्ट के नाम पर आयोजित की जाने वाली दौड़ में ये अधिकारी जरूर अपना जौहर दिखा देते हैं। पुलिस जवानों तथा वनरक्षकों की भर्ती के फिजिकल टेस्ट में दौड़ के लिए समय दर्ज करने का काम अधिकारी या फिर उनके मातहत कर्मचारी ही करते हैं। किन आवेदकों को श्रेष्ठ धावक साबित करना है, यह अधिकारी ही तय करते हैं। चूंकि अधिकारी या मातहत जो समय दर्ज कर दें, वह ब्रम्ह वाक्य की तरह अकाट्य हो जाता है। कौन कितनी देर में यह दूरी तय करता है, इसका ध्यान न दूसरे आवेदक रखते हैं और न ही वहां मौजूद अन्य लोग। लिहाजा अधिकारियों को ऐसी ही दौड़ में भ्रष्टाचार का घोड़ा दौड़ाने का भरपूर मौका मिल जाता है।