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अपने बयान से पलटे गुलाम नबी आजाद..धारा 370 को लेकर अब कहीं यह बात.!

(शशि कोन्हेर) : कांग्रेस से किनारा कर जम्मू कश्मीर में अपनी नयी सियासी पारी की तैयारी में जुटे पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कहा कि अनुच्छेद 370 कभी भी जम्मू-कश्मीर के विकास में रुकावट नहीं थी। पांच अगस्त 2019 से पूर्व के जम्मू कश्मीर राज्य राष्ट्रीय स्तर पर 30 मानकों पर देश के अन्य कई राज्यों से बेहतर था। उन्होंने कहा कि मैने कभी भी अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली की संभावना को नहीं नकारा है,लेकिन इसमें बहुत समय लग सकता है और इसके लिए आपको संसद में भी बहुमत चाहिए। सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही इसे चाहें तो जल्द बहाल कर सकते हैं,क्योंकि उनके पास ही इस समय संसद में बहुमत है।

आज यहां पत्रकारों से बातचीत में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अनुच्छेद 370 विकास में बाधा नहीं था। मैं खुद जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री रह चुका हूं और मैने यहां तीन शिफ्टों की कार्यसंस्कृति को शुरु किया, विधानसभा की कार्यवाही सप्ताह में छह दिन बहाल की , सड़कें बनाई, स्कूल व कालेजों का एक मजबूत और विस्तृत नेटवर्क तैयार किया। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर मैने संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मैने अपना पक्ष रखा।

मैंने संसद में बताया कि जिन मानकों के आधार पर हम देश किसी भी राज्य के विकास को मापते हैं, उनमें से 30 मानकों पर जम्मू कश्मीर का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है और 40 मानकों पर जम्मू कश्मीर का प्रदर्शन गुजरात से भी बेहतर रहा है। मैने संसद में कहा था कि अधिकांश मानकों पर जम्मू कश्मीर का प्रदर्शन बहुत अच्छा है,इसलिए जम्मू कश्मीर के बजाय गुजरात केा केंद्र शासित प्रदेश बनाकर वहां उपराज्यपाल को भेजा जाए।

अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली संबंधी सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मैने कभी भी इसकी पुनर्बहाली की संभावना को नहीं नकारा है, लेकिन इसके लिए समय,संसद में बहुमत और कई अन्य चीजों की जरुरत है। इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही बहाल कर सकते हैं। जिस तरह से उन्होंने कृषि कानून वापस लिए हैं, उसी तरह वह चाहे तो इसे भी जम्मू कश्मीर को लौटा सकते हैं ,या फिर इसके लिए संसद में दो तिहाई बहुमत चाहिए।

मैं उन्हें या उनकी केबिनेट को अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली के लिए नहीं मना सकता।उन्होंने कहा कि संसद से प्राप्त की गई जानकारी के मुताबिक, लोकसभा में 86 प्रतिशत सदस्य जिनमें भाजपा व आठ अन्य दलों से संबधित थे,इसे हटाए जाने के पक्षधर थे जबकि 14 प्रतिशत सदस्य ही इसे बनाए रखने के पक्ष में थे।

आप ही बताईए कि क्या जम्मू कश्मीर से किसी राजनीतिक दल को संसद में 86 प्रतिश समर्थन मिल सकता है? हम दुआ ही कर सकते हैं कि काश कोई दिन ऐसा आए जब हमारे पक्ष में दो तिहाई बहुमत हो,लेकिन यह आज संभव नहीं है और न यह अगले साल मार्च में संभव होगा।

अगर यह इस साल दिसंबर में होना होगा तो फिर मोदी साहब ही कर सकते हैं।गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली का दूसरा रास्ता अदालत है।तीन साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, इस दाैरान कई चीफ जस्टिस भी बदल गए,लेकिन किसी एक ने भी अनुच्छेद 370 से संबधित याचिका का पहला पेज भी नहीं देखा। इसकी सुनवाई की कोई तारीख तक नहीं दी। अगर सुनवाई शुरु होती भी है तो कितना समय यह चलेगी और किसके पक्ष में फैसला आएगा, हमें नहीं मालूम। इसलिए मेरा कहना है कि हमें कोई ऐसा नारा नहीं देना चाहिए ,लोगों को वह ख्वाब नहीं दिखाना चाहिए जो संभव न हो। 

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