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बहुतों की परेशानी का सबब बनेगी गुलाम नबी आजाद की संभावित नई पार्टी

(शशि कोन्हेर) : हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा देकर आजाद हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की नए सिरे से सक्रियता कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। जम्मू और कश्मीर घाटी के अनेक जिलों में गुलाम नबी आजाद का खासा प्रभाव है। ऐसे में कांग्रेस से उनका आजाद गुना इस पूरे क्षेत्र में चुनावी अंकगणित को गड़बड़ा सकता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद इसी सप्ताह अपनी नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं।

जाहिर है कि इसके बाद वह जम्मू-कश्मीर में अपना सघन प्रचार अभियान शुरू कर देंगे। आजाद के इस रूख से कांग्रेश तो परेशान है ही कश्मीर घाटी में सियासत पर एकाधिकार रखने वाले महोबा मुफ्ती और डॉक्टर फारुख अब्दुल्ला की पार्टियां भी इस नए परिवेश से सकते में है। हालांकि इस बात का कोई दावा नहीं कर सकता कि गुलाम नबी आजाद की नई संभावित पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव जीत सकती है।

लेकिन इसमें तकरीबन हर राजनीतिक एक राय है कि गुलाम नबी आजाद की नई पार्टी महबूबा मुफ्ती और डॉक्टर फारुख अब्दुल्ला की चुनावी संभावनाओं को उलट सकती है। वही यदि कांग्रेस की बात करें तो गुलाम नबी की नई पार्टी का तूफान कश्मीर घाटी से कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर सकता है।

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