रेल इंजन और लोहे के पुल के बाद अब बेच दिया सरकारी अस्पताल….
(शशि कोन्हेर) : बिहार में अनियमितता के एक से बढ़कर एक मामले सामने आ रहे हैं। केवल इस वर्ष की ही बात करें तो पहले पूरे रेलवे इंजन को बेचने का मामला सामने आया। उसके कुछ ही दिनों के बाद पुल को बेचने की बात ने सबको चौंका दिया। अब मुजफ्फरपुर जिले से एक सरकारी अस्पताल को ही बेचने का मामला सामने आया है। इस केस के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी परेशान रहे हैं और जांच कराने की बात कह रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिले में वह जमीन बेच दी गई, जिसपर साढ़े चार दशक से स्वास्थ्य उपकेंद्र चल रहा था। जमीन के नामांतरण के समय यह पकड़ में आया है। फिलहाल अंचल अधिकारी (सीओ) ने जमाबंदी पर रोक लगा दी है। वहीं, पंचायत के मुखिया ने भी मामले को जिलाधिकारी के यहां पहुंचाया है। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के स्तर से इसकी जांच होनी है।
1975 में सरकार ने कराया था स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण
कुढऩी प्रखंड की जम्हरूआ पंचायत के मुरौल गांव में वर्ष 1975 में स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण कराने के लिए सरकार को करीब एक एकड़ जमीन गोपाल शरण सिंह ने दान दी थी। इसके कुछ हिस्से पर स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण किया गया। यह दान मौखिक या दस्तावेजी था, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है। जिस जमीन पर यह केंद्र चल रहा है, उसकी 36 डिसमिल की बिक्री इस साल फरवरी में कर दी गई। खरीदने वाले जमीन के साथ स्वास्थ्य उपकेंद्र पर कब्जा करना चाह रहे हैं। इस कड़ी में जमीन के नामांतरण का आवेदन दिया गया। कुढऩी सीओ ने इसकी जांच अमीन से कराई तो वहां स्वास्थ्य उपकेंद्र निकला, जबकि तहसील के कागजात में इसका कोई जिक्र नहीं है। जमीन की किस्म आवासीय जरूर बताई गई है। वैशाली जिले के महुआ के सत्येंद्र कुमार सिंह का नाम बेचने वाले की जगह है, जबकि खरीदने वालों में जम्हरूआ के अरुण यादव, जूही कुमारी, का नाम दर्ज है।