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हिमाचल में मुश्किल में सरकार सुखविंदर सुक्खू के खिलाफ 26 विधायक..

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार मुश्किल में आ गई है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की वजह से पार्टी उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की हार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए खतरे की घंटी है। क्योंकि, क्रॉस वोटिंग करने वाले पार्टी के छह विधायक अब असंतुष्ट गुट में शामिल हो गए हैं। ऐसे में आने वाले वक्त में सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है।

भाजपा के सिंबल पर राज्यसभा चुनाव जीतने वाले हर्ष महाजन ने दावा किया कि कुल 26 विधायक सुक्खू से नाखुश थे और उन्हें सीएम बनाना चाहते थे। वहीं, भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि बुधवार को राज्यपाल से मिलकर सुक्खू सरकार को बहुमत साबित करने की मांग की जाएगी।

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा का सत्र चल रहा है। बुधवार को बजट पेश किया जाएगा। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को बजट पास कराने में मुश्किल नहीं होगी। क्योंकि, सरकार के पास विधानसभा में बहुमत है। पर पार्टी के लिए यह बड़ा झटका है और पार्टी को हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार को बरकरार रखना आसान नहीं होगा।

रणनीतिकार मानते हैं कि यह पार्टी से ज्यादा मुख्यमंत्री सुक्खू के लिए एक बड़ा झटका है। क्योंकि, वह विधायकों को एकजुट रखने में विफल रहे हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि 25 विधायकों के बावजूद राज्यसभा के लिए उम्मीदवार उतार कर भाजपा ने अपना इरादा साफ कर दिया था, इसके बावजूद मुख्यमंत्री स्थिति को समझने में नाकाम रहे। इससे उनकी छवि पर भी असर पड़ा है।

भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि बुधवार को राज्यपाल से मिलकर सुक्खू सरकार को बहुमत साबित करने की मांग की जाएगी। वहीं 29 फरवरी को वित्त वर्ष 2024-25 का बजट भी पास होना है और सदन के अंदर सुक्खू सरकार को 35 विधायकों की जरूरत होगी।

लेकिन वर्तमान में छह विधायकों के बागी होने से कांग्रेस के पास केवल 34 विधायक ही हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने दावा किया है कि एक मंत्री और कांग्रेस के कुछ और विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। अगर राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट की अनुमति दे दी तो सुक्खू सरकार के लिए मुश्किलें पैदा हो जाएगी।

विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों को लेकर भी कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा तबका मुख्यमंत्री से नाराज है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों ने कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चुनावी वादे याद दिलाए थे। इसके साथ उन्होंने साफ संकेत दिए थे कि पार्टी ने उनकी नाराजगी को दूर नहीं किया, तो वह भाजपा के साथ जाने से भी परहेज नहीं करेंगे।

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