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कोचिंग सेंटरों पर शिकंजा कसेगी सरकार!  नहीं कर पाएंगे बड़े-बड़े दावे..

कोचिंग सेंटर्स की मनमानी रोकने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रह रही है। कोचिंग के भ्रामक विज्ञापनों पर शिकंजा कसने के लिए अब सरकार ने नई गाइडलाइन्स का प्रारूप तय किया है। इसमें कहा गया है कि कोचिंग सेंटर 100 प्रतिशत सिलेक्शन या फिर नौकरी दिलाने का दावा किसी भी विज्ञापन में नहीं कर सकते हैं।

सेंट्र्ल कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने इन नियमों को ड्राफ्ट किया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 30 दिन के अंदर इसपर जनता की राय मांगी है।

केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों में कहा गया है कि कोई भी कोचिंक संस्थान जरूरी जानकारी को विज्ञापन में नहीं छिपा सकता है। अकसर विज्ञापन में कोचिंग संस्थान अहम जानकारियां नहीं देते हैं।

जैसे कि कोर्स पेड है या फ्री, कोर्स का ड्यूरेशन क्या है। सफस कैंडिडेट ने कौन से कोर्स चुना था और कितने दिन तक कोचिंग की, सफलता दर को लेकर गलत तथ्य। कोचिंग संस्थान बिना किसी प्रमाण के ही रैंकिंग और चयन का दावा करने लगते हैं।

नियमों में यह भी कहा गया है कि जब तक किसी कैंडिडेट से सहमति नहीं ली जाती तब तक उसका फोटो, वीडियो, नाम या फिर ब्यौरा विज्ञापन में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। कोचिंग संस्थान को बिना स्टूडेंट से सहमति लिए उसकी रैंक, मार्क्स के बारे में भी बताना सही नहीं है। बता दें कि इन नियमों को ड्राफ्ट करने से पहले 8 दिसंबर 2023 को एक पैनल बनाया गया था। एक महीने में पहले कोचिंग संस्थान से जुड़े लोगों से भी सलाह ली गई।

बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार ने देश के सभी प्राइवेट कोचिंग संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी की थी जिसमें रजिस्ट्रेशन करवाने की बात कही गई थी। इसके अलावा इसमें 16 साल से कम के बच्चों का एनरोलमेंट करने से भी प्रतिबंधित किया गया था। देश में बढ़ रहे सूइसाइड मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने ये गाइडलाइन जारी की थीं। इसमें यह भी कहा गया था कि कोचिंग संस्थान अग्नि सुरक्षा, भवन सुरक्षा के मानदंडों को ध्यान में रखने के अलावा छात्रों की साइकॉलजी और मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखें।

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