छत्तीसगढ़

जीपीएम..जंगलों की अंधाधुंध कटाई से दाना-पानी की तलाश में गांवों कस्बों में आने पर मजबूर है हाथियों के दल और भालू

(उज्जवल तिवारी) : गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के मरवाही क्षेत्र में जंगलों की अंधाधुंध कटाई का असर अब वन्य प्राणियों और पर्यावरण पर हो रहा है। अतिक्रमण क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई के लिए गार्डनिंग तकनीक से पेड़ों को मारने का नया तरीके का इजाद कर लिया गया है।

वन विभाग इस तरह की अवैध जंगल कटाई के खिलाफ कभी भी कठोर और स्थाई कार्यवाही करता नहीं दिखता। जंगलों के विनाश से वन्य प्राणियों को खाने और पीने की तलाश में गांव कस्बों के रिहायशी इलाकों में आना पड़ रहा है। जहां आमने-सामने होने के कारण वन्यजीवों की इंसानों से मुठभेड़ हो रही है।

और दोनों में से किसी एक को उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। ऋषभ के चलते हाथियों का दल हाल में नाका आया लेकिन जंगल छोड़ गांव के बीच घरों को थोड़ा और धान को नष्ट किया तथा खाकर चला गया। खाने की तलाश में भालू नरोर पूजा स्थल पहुंचे और लगातार तीन दिन से बर्तन से प्रसाद खाते दिखे। पेंड्रा जैसे रिहायशी इलाके में सांभर के दिखने से लोग हैरान हैं।

कुम्हारी में 3 लोगों पर एक ही दिन में भालू का हमला भी इसी ओर इशारा कर रहा है कि अब वन्य प्राणियों ने जंगल विनाश के चलते कस्बों और गांवों की तरफ रुख कर लिया है। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो आने वाले दिनों में वन्य प्राणियों और इंसानों के बीच संघर्ष की नई वारदातें सामने आती रहेंगी। वन विभाग को इसके लिए सबसे पहले जंगलों की अवैध कटाई को रोककर और भी दूसरे उपचार करने चाहिए। बिना इसके कुछ भी संभव नहीं है।

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