देश

आज वाराणसी कोर्ट में पेश होगी ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट… सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई……

(शशि कोन्हेर) : ज्ञानवापी मामले में स्थानीय कोर्ट में आज गुरुवार को एक बार फिर सुनवाई होगी. मंगलवार को कोर्ट कमिश्नर ने सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए दो दिन की मोहलत मांगी थी. ये समय अब पूरा हो गया है. गुरुवार को जब कोर्ट खुलेगी तो एडवोकेट कमिश्नर जज के सामने सर्वे रिपोर्ट पेश करेंगे. इसके अलावा, स्थानीय कोर्ट में गुरुवार को दो अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई होनी है.

एक याचिका में कोर्ट कमीशन ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे में मिले शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति मांगी गई है. इसके अलावा, याचिका में ज्ञानवापी परिसर में बेसमेंट की दीवारों को गिराने और मामले में अन्य सबूत इकट्ठा करने के लिए मलबा हटाने की भी मांग की गई है.

पाइपलाइन को शिफ्टिंग करने की मांग

वहीं, मंगलवार को एक अन्य याचिका दायर की गई. इसमें ज्ञानवापी मस्जिद के सील किए गए इलाके से पाइपलाइन (जिसके जरिए नमाजियों को वुजू करने के लिए पानी की आपूर्ति की जाती है) को शिफ्टिंग करने का निर्देश देने की मांग की गई है. ये याचिका डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट काउंसिल के वकील महेंद्र प्रसाद पांडे ने दायर की थी.

इस याचिका के एक दिन बाद कोर्ट ने मस्जिद के अंदर के क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया था, जहां दावा किया गया था कि सर्वे के अंतिम दिन वहां एक शिवलिंग पाया गया था. अदालत ने आवेदन स्वीकार कर लिया और सुनवाई की अगली तारीख 18 मई तय की है. लेकिन अब 19 मई को इस मामले में सुनवाई होगी. ये याचिकाएं मंगलवार को जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत में दायर की गईं हैं.

एडवोकेट अजय मिश्रा को कमीशन रिपोर्ट में शामिल करने की मांग

गुरुवार को सुनवाई के लिए यह एक और याचिका है. इसमें हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता चाहते हैं कि सर्वे कार्य में अजय कुमार मिश्रा को भी शामिल किया जाए. बता दें कि अजय कुमार मिश्रा को वाराणसी की कोर्ट ने मंगलवार को कोर्ट कमिश्नर की जिम्मेदारी से हटा दिया था. उन पर आरोप है कि सर्वे की सूचनाएं लीक की हैं. उनके व्यवहार को गैर जिम्मेदार बताया गया है. वादी पक्ष ने कहा है कि दो दिन की कमीशन कार्यवाही 6 और 7 मई 2022 की सभी रिपोर्ट वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के साथ वकील कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को कमीशन रिपोर्ट में सहयोग करने का आदेश दिया जाए, ताकि न्याय हो.

कोर्ट कमिश्नर ने दो दिन का वक्त मांगा था

इससे पहले स्थानीय कोर्ट में एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने संयुक्त रूप से रिपोर्ट पेश करने के लिए 2 दिन का समय मांगा है, जिसकी एप्लीकेशन वाराणसी कोर्ट में दाखिल कर दी गई है. विशाल सिंह ने बताया की रिपोर्ट हमारी लगभग तैयार है लेकिन रिपोर्ट पेश करने के लिए हमने 2 दिन का समय मांगा है.

प्रशासन ने वजू के स्थान पर ताले लटकाए

वहीं, बुधवार को प्रशासन ने वजू के स्थान पर 9 ताले लगाकर उसे सील कर दिया है. सीआरपीएफ के दो जवानों की ड्यूटी लगा दी गई है. यहां हर शिफ्ट में दो-दो जवान मुस्तैदी से डटे रहेंगे ताकि शिवलिंग के उस स्थान को कोई नुकसान ना पहुंचाया जा सके. हर शिफ्ट में डिप्टी एसपी रैंक के मंदिर सुरक्षा अधिकारी और सीआरपीएफ के कमांडेंट औचक निरीक्षण करेंगे और शिवलिंग के स्थान की सुरक्षा देखेंगे.

सूत्रों के मुताबिक, ज्ञानवापी परिसर के तीनों वायरल वीडियो एक से दो महीने पुराने बताए जा रहे हैं. प्रशासन का कहना है कि वजू के उस स्थान पर छोटा सरोवर है, उसे सील कर लिया गया है. क्योंकि यह इलाका पहले से लोहे के बेरिकेट और जालों से घिरा हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट में भी गुरुवार को सुनवाई

गुरुवार को ज्ञानवापी सर्वे मामले में सुप्रीम कोर्ट भी अहम सुनवाई करेगा. जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नरसिम्हा की बेंच के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य पक्षकारों को नोटिस का जवाब दाखिल करना है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर गुरुवार को अपना रुख साफ करने को कहा था. कोर्ट ने आदेश दिया था कि जिला मजिस्ट्रेट ज्ञानवापी परिसर के सरोवर से मिले कथित शिवलिंग (जिसका जिक्र ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में भी किया) को सुरक्षित रखने के इंतजाम करें. इसके अलावा, मुस्लिमों को वहां नमाज अदा करने से नहीं रोका जाए.

सुप्रीम कोर्ट से मांग- मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज की जाए

ज्ञानवापी सर्वे मामले में हिंदू सेना ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. अपने हलफनामे में हिंदू सेना ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करने की मांग की. हिंदू सेना ने आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष ने कई तथ्य और ऐतिहासिक बातें अदालत से छुपाई हैं. मस्जिद कमेटी वाले पक्षकार ने अदालत को नहीं बताया कि इस मामले में पहले भी दो अवसरों पर वाराणसी जिला अदालत वकील कमिश्नर को नियुक्त किया था, लेकिन कई कारणों से वो सर्वे नहीं कर पाए. लेकिन किसी ने डर के मारे तो किसी ने सेहत का हवाला देकर असमर्थता जता दी और सर्वे नहीं हो पाया.

हिंदू सेना ने बताया कि बाद में अदालत ने तीसरे वकील को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया. इस पर भी आपत्ति जताई गई. इतना ही नहीं, मुस्लिम पक्ष ने सूट पर अपना पक्ष नहीं रखा. मुस्लिम पक्ष ने धार्मिक स्वरूप पर अपना पक्ष नहीं रखा. उन्होंने सिर्फ प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 की ही बात पर फोकस रखा है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button