हिमाचल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हर्ष महाजन का गिरा विकेट… भाजपा में हुए शामिल..
कांगड़ा – अब क्या बताएं जी। जिस आशियाने को स्वयं संवारते आए हैं, उसे बिखरता देख रहे हैं। कोई खिड़की तोड़ रहा है तो कोई दरवाजे उखाड़ने के लिए आतुर है…!’ यह नई पीढ़ी से हताश किसी वृद्ध का प्रलाप नहीं, राजनीति में जिस सीमा तक व्यक्ति को युवा माना जाता है, उतने ही एक युवा का बयान है, कांग्रेस के संबंध में। इस बयान में दाल यदि 1885 में बनी पार्टी है तो एक चुटकी नमक अपनी टिकट की चिंता भी है।
कौन सा दरवाजा उखड़ गया? वह जवाब देते हैं, ‘हर्ष महाजन भाजपा में चले गए। कार्यकारी अध्यक्ष थे हमारे।’ पर आपके यहां से पहली बार कोई कार्यकारी अध्यक्ष भाजपा में गया हो, ऐसा तो नहीं है। फिर इतनी चिंता क्यों? जवाब आता है, ‘दो कार्यकारी अध्यक्ष और भी तो हैं। ऐसा न हो कि कल को उनके चित्र के पीछे भी कमल का फूल जगमगा रहा हो।’
इस संवाद में कांग्रेस नेता के बड़े विषाद का कारण बेशक हर्ष हैं, पर इसमें एक संदेश है पार्टी के रहे-सहे शीर्ष नेतृत्व को कि भारत जोड़ो से पहले कांग्रेस बचाओ की जरूरत अधिक है। बिना विवाद में आए कांग्रेस को एकजुट रखने का प्रयास करने वाले यह नेता उस प्रयोग के भी विरोधी हैं जिसके तहत नाना प्रकार के अध्यक्षों, विभिन्न प्रकार के उपाध्यक्षों, महासचिवों का जमघट लगाया गया।
पंजाब में पिछले वर्ष ही कांग्रेस ने अपनी पराली अपने ही आंगन में पूरी चेतना के साथ सार्वजनिक रूप से जलाई थी। वहां के कई नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस आत्महत्या की राह पर जाती रही है, किंतु हिमाचल प्रदेश में आत्महत्या जैसे कदम उठाने से रुकना चाहिए था।