सरकारी नौकरी में सामाजिक-आर्थिक आधार पर नहीं मिलेंगे अतिरिक्त अंक, HC का फैसला
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार की नौकरियों में कुछ वर्गों के उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक देने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित सामाजिक-आर्थिक मानदंडों को असंवैधानिक करार दिया है। न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने अप्रित गहलावत और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट ने सामाजिक-आर्थिक मानदंडों को रद्द कर दिया और इसे असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन करने वाला करार दिया।
याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील सार्थक गुप्ता ने कहा, “सामाजिक-आर्थिक मानदंडों को असंवैधानिक और अनुच्छेद 14, 15, 16 का उल्लंघन करने वाला करार दिया गया है। शुक्रवार को खंडपीठ ने न्यायालय में यह फैसला सुनाया।” उन्होंने कहा कि अतिरिक्त अंक या बोनस अंक देने की प्रथा को असंवैधानिक घोषित किया गया है।
हरियाणा सरकार ने कुछ वर्ष पहले सामाजिक-आर्थिक मानदंड लागू किया था, जिसका उद्देश्य कुछ श्रेणियों के कैंडिडेट्स को अतिरिक्त अंक प्रदान करना था। इनमें वे कैंडिडेट भी शामिल हैं जिनके परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है। राज्य के मूल निवासी और जिनके परिवार की वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये से अधिक नहीं है उनके लिए भी यह नियम लागू किया गया था।