छत्तीसगढ़

एक देश-एक चुनाव को लेकर हाई लेवल कमेटी गठित; अमित शाह, अधीर रंजन समेत ये लोग शामिल

(शशि कोन्हेर) : कानून मंत्रालय ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘एक देश-एक चुनाव’ के प्रस्ताव को लेकर हाई लेवल कमेटी का गठन किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, सीनियर वकील हरीश साल्वे, पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी समिति के सदस्य होंगे। इनके अलावा, उच्च स्तरीय समिति की बैठकों में राज्य मंत्री (कानून) अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भाग लेंगे।

कमेटी गठित करने का मकसद जानें
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कमेटी भारत के संविधान और अन्य वैधानिक प्रावधानों के तहत लोकसभा, राज्य विधान सभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने को लेकर जांच करेगी और सिफारिशें पेश करेगी।

संविधान, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के नियमों और किसी भी अन्य कानून या नियमों में संशोधनों की जांच होगी। साथ ही यह सिफारिश की जाएगी कि कहां पर संशोधन की जरूरत है।

अगर त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या दलबदल जैसी स्थिति बनती है तो क्या कदम उठाए जाएंगे। यह समिति इसका विश्लेषण करेगी और संभावित समाधानों की सिफारिश करेगी। 8 सदस्यीय समिति चुनावों को एक साथ कराने के लिए फ्रेमवर्क सुझाएगी।

कमेटी उस समय सीमा का भी सुझाव देगी जिसके भीतर एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं। अधिसूचना में कहा गया, ‘समिति एक साथ चुनाव कराने के लिए ईवीएम, वीवीपैट जैसी लॉजिस्टिक्स और जनशक्ति की भी जांच करेगी।’

‘एक देश-एक चुनाव’ क्या है?
मालूम हो कि 1967 तक राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के इलेक्शन एक साथ होते रहे। हालांकि, 1968 और 1969 में कुछ विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया गया। 1970 में लोकसभा का भी विघटन हुआ। इससे राज्यों और देश के लिए चुनावी कार्यक्रम में बदलाव करना पड़ा।

विधि आयोग ने 170वीं रिपोर्ट में चुनाव खर्च कम करने के लिए एक साथ इलेक्शन कराने की सिफारिश की थी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नियम यह होना चाहिए कि लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए 5 साल में एक बार चुनाव हो।’

गौरतलब है कि करीब 10 राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले या उसके आसपास खत्म होने वाला है। इसके अलाला पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, मिजोरम और छत्तीसगढ़) में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत तक होने वाले हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और झारखंड में भी विधानसभा इलेक्शन होने की संभावना है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button